(श्री स्वामी विवेकानन्द जी महाराज)
एक बार मैं अमेरिका की एक सड़क पर जा रहा था तो, एक सभ्य पुरुष ने छड़ी से मेरा साफा उछाल दिया। मैंने उनसे पूछा- ‘आप जैसे सभ्य पुरुष ने यह कष्ट क्यों उठाया? उसने कहा-’भला, आपने यह विचित्र वेश क्यों धारण किया है? मैंने उत्तर दिया-’मैं बहुत दिनों से इस देश की सभ्यता की प्रशंसा सुनता था, इसी से इसको देखने की इच्छा से आया था, यहाँ की सभ्यता का पहला पाठ आपने मुझे पढ़ाया। इस पर वह सज्जन बहुत लज्जित हुए और अपनी गलती पर खेद प्रकट करते हुए क्षमा माँगने लगे।
गलती करने वाले पर एक दम आग बबूला हो जाने की अपेक्षा यदि नम्रता, धैर्य और गम्भीरता पूर्वक उसे समझाया जाय तो उसका हृदय परिवर्तन कराया जा सकता है।