तिनकों के संग्रह से बने हुए रस्से से हाथी तब बाँधे जाते हैं, मानव जाति के ऐक्य से संसार के सारे काज सरते हैं।
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चरित्र की दृढ़ता दो बातों से प्रकट होती है-इच्छा शक्ति और आत्म संयम। इसलिये इसमें दो बातों की आवश्यकता है, दृढ़ विचार और उस पर पूर्ण अधिकार।
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स्वाभिमान, आत्मज्ञान और आत्मसंयम केवल यही तीनों जीवन को उच्च बना सकते हैं।