-हृदय को शुद्ध करो। एक-एक दोष चुन-चुन कर निकाल दो। सद्गुणों को ढूंढ़-2 कर हृदय में बसाओ। तुम्हारा हृदय देवपुरी बन जायगा। देवता वही है जिसके हृदय में दैवी गुण भरे हैं।
-महात्मा गाँधी।
-जिस विद्या से लोग जीवन संग्राम में शक्तिमान नहीं होते, जिस विद्या से मनुष्य के चरित्र का विकास नहीं होता और जिस विद्या से मनुष्य परोपकारी, प्रेमी और पराक्रमी नहीं बनता, उसका नाम विद्या नहीं है।
-स्वामी विवेकानंद।