जीवन एक पाठशाला है, जिसमें अनुभवों के आधार पर हम शिक्षा प्राप्त करते हैं। विश्व में आज तक जो भी व्यक्ति आया है, उसने अपनी यात्रा के दिन पूरे करते हुए यही कहा है कि संसार में एक ही वस्तु ग्रहण करने योग्य है और वह है- ‘धर्मज्ञ’ इस लोक की और परलोक की सारी संपदाएं धर्म की धुरी से बँधी हुई हैं।
धर्म के बिना स्थायी सुख आज तक न तो किसी को मिला है और न आगे मिलेगा। यह सब कुछ जानते हुए भी जो क्षणिक लालसा के वशीभूत होकर अधर्म की ओर कदम बढ़ाते हैं- हाय! ये कैसे अभागे हैं? चमकीले दमकीले पाप के प्रलोभन में फंस कर अपने भविष्य को अन्धकारपूर्ण और रौख की ज्वालाओं में जलता हुआ बनाने जा रहे हैं, सचमुच में अभागे बड़े ही दया के पात्र हैं।
संसार की महानात्माओं के चिरकालीन अनुभव से लाभ उठाओ। हर एक संत सदा से अपना यही अनुभव कहता रहा है कि धर्म में ही कल्याण है। सो हे कल्याण के चाहने वालो! ठहरो, अधर्म से डरो और धर्म को अपनाओ।