धर्म के रक्षक भगवान

August 1942

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

(श्री नयनसिंह वर्मा, बसन्तपुर)

एक अत्यन्त आवश्यक समारोह था। पास में एक पैसा भी न था, पर खर्च की बहुत जरूरत थी। दृष्टि दौड़ाई, तो पूरे तीन महीने तक कहीं से कुछ मिलने की आशा भी न थी। फिर भी भगवान के भरोसे कार्य आरम्भ कर ही दिया गया, कर्त्तव्य आवश्यक था, इसलिए उसमें जुट ही जाना पड़ा। परन्तु कार्य पूरा होने में बहुत बाधाएं तथा कठिनाइयाँ दिखाई दे रही थी, निराश के बादल झूल रहे थे।

उस परम पिता की अपार महिमा तो देखिए कि कार्य के समीप आते -आते जिन भी खर्च की जरूरत पड़ी, वह अनायास ही प्राप्त होता रहा। यहाँ तक कि कार्य पूरा होने के बाद भी शेष रह गया।

शुभ कर्म आरम्भ करने में लोग डरते हैं और नाना प्रकार की कठिनाइयों की आशंका करते हैं। पर देखा जाता है कि जिसने साहस करके श्रेष्ठ कामों में कदम बढ़ाया, वह निस्संदेह पूरा हुआ है। धर्म की भगवान् रक्षा करते हैं।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles






Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118