नाम आधार और सत्संग

August 1942

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(पं. प्रभूदयाल शर्मा वैद्य, काँकन)

मुझे राम नाम पर बचपन से ही विश्वास है। कोई कष्ट पड़ता है तो वह राम नाम संकीर्तन से दूर हो जाता है। इसी नाम प्रेम के कारण मैनपुरी के श्री 1008 स्वामी भजनानन्द जी महाराज के चरणों में अनुराग उत्पन्न हो गया। उनके सत्संग से अविद्या रूपी गाँठ खुलने लगी और समझ में आने लगा कि दुख अविधा से होता है, मेरे जीवन में जो कुछ सुख शान्ति पैदा हुई है, वह श्री स्वामी जी महाराज की कृपा से ही है। आप अनुभवी योगी तथा पूर्ण विद्वान हैं।

भगवान के नाम प्रेम से मुझे श्री स्वामी जी महाराज का सत्संग मिला और सत्संग के कारण ज्ञान का प्रकाश हुआ। आत्मज्ञान का जितना अनुभव होता जाता है, उतनी ही आन्तरिक शान्ति उत्पन्न होती जाती है और निरन्तर यह प्रेरणा बढ़ती जाती है कि संसार रूपी नाटकशाला में हम सब नट हैं, हमें अपना अपना पार्ट ईमानदारी से पूरा करते हुए ईश्वर को प्राप्त करना चाहिए।

निस्संदेह नाम का आधार और महात्माओं का सत्संग जीवन सुधार का मूल आधार है।


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