वोरले की सूझबूझ (kahani)

February 1993

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

नेपल्स नगर के बड़े गिरजे का पादरी था वोरले।

चर्च की आमदनी भी अच्छी खासी थी पर वहाँ पूजा पाठ के अतिरिक्त और कोई काम न होता था। पादरी इतने भर से संतुष्ट न था।

व्नवोरले ने नगर में घूमकर वहाँ की समस्याओं को समझाने का प्रयत्न किया। वहाँ आवारा लड़कों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही थी। उनके द्वारा अन्याय भी बहुत होते थे। वोरले ने विचार किया कि इन लड़कों को सुधारने का, स्वावलम्बी बनाने का काम किया जाना चाहिए। योजना की समग्र रूप रेखा उसने बनाई और उसे कार्यान्वित करने का दृढ़ निश्चय कर लिया।

इसका सुधार स्तर तेजी से बढ़ा हर वर्ष प्रायः पाँच हज़ार लड़के भरती होते रहे और सुयार का महत्वपूर्ण कार्य वे चलाते रहे। इस का फल यह हुआ कि नेपल्स नगर अपने समय में सुधरे हुए शहरों में अग्रगण्य हो गया। वोरले की सूझबूझ ने चमत्कारी परिमाण दिखाया।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles