महत्व श्रम का नहीं (kahani)

February 1993

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स्पेन के नाविक कोलम्बस ने दुस्साहसी नौकायन करके अमेरिकी महाद्वीप को खोज निकाला। उसकी कीर्ति सब ओर फैली। लौटने पर सम्मान सूचक अनेकों समारोह हुए।

ऐसे ही एक प्रीति भोज में उनके किसी विद्वेषी ने कहा- “यह कौन-सी बड़ी बात है। अटलाँटिक पार किया कि अमेरिका आ गया। इतने सरल काम के लिए इतने सम्मान की क्या जरूरत है।”

भोज समाप्त होने पर कोलम्बस ने एक उबला अण्डा मेज पर रखा और कहा- “आप में से कोई सज्जन इसे सीधे खड़ा कर देने की कृपा करें।”

सभी ने बहुत अकल दौड़ाई। कोशिश की पर वैसा न हो सका, जैसा कि करने के लिए कहा गया था।

कोलम्बस ने अण्डे का एक सिरा उँगली के सहारे चिपकाकर समतल किया और मेज पर खड़ा कर दिखाया।

उसने कहा- “देखा आप लोगों ने। अण्डा सीधा खड़ा कर देना कितना सरल था। पर सूझ-बूझ के अभाव में आप में से कोई भी इसे कर नहीं सका। महत्व श्रम का नहीं, सूझ-बूझ का भी होता है।”


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