थाईलैण्ड वर्मा का पड़ोसी देश है। कुछ समय पूर्व तक वह संसार का एक मात्र बुद्ध देश था। थाईलैण्ड में अनेक बौद्ध विहार थे। उस देश में प्रथा थी कि हर व्यक्ति एक वर्ष के लिए बिहार में रहे। साधारण करे और देशवासियों से मिलता रहे।
इस प्रचालन से सभी बौद्धबिहार भरे रहते उनके लिए सभी सद्गृहस्थ साधन जुटाते। प्रातः काल स्व-कार्य से निपटकर सभी साधक अपनी योजनानुसार कार्यों पर चले जाते। इस प्रकार छोटे-बड़े सभी शासकीय और सामाजिक कार्यों के लिए सहयोग कार्यकर्ता भोजन मात्र का निर्वाह लेकर कार्यरत रहते।
जब तक यह प्रथा प्रचलित रही तब तक वह कृषि-प्रधान देश संसार के समुन्नत देशों में अग्रणी गिना जाता रहा। उसकी सम्पन्नता,शान्ति और प्रगति देखने योग्य ही बनी रही।