जिसने दुख नहीं सहा वह सुख का मिठास क्या जानें। जो रोया नहीं उससे हँसना भी न आएगा। जिसने हार-जीत नहीं देखी उसे पुरुषार्थ का महत्व कैसे मालूम होगा। जिसे संदेह करना नहीं आता वह सही चिन्तन भी न कर सकेगा।