VigyapanSuchana

November 2003

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विशेष ज्ञातव्य

‘अखण्ड ज्योति’ पत्रिका के माह अगस्त, 23 के अंक में पृष्ठ संख्या 36 पर प्रकाशित ‘क्लाथ चिकित्सा द्वारा जटिल रोगों का सरल उपचार’ शीर्षक के अंतर्गत ‘उच्च रक्तचाप नाशक क्वाथ’ का वर्णन किया गया है। उसमें कुछ सूत्र संकेत अति संक्षेप में लिखे होने के कारण समझने में किसी को असुविधा न हो, अतः उसका कुछ स्पष्टीकरण इस प्रकार है ‘-

उस क्वाथ में प्रयुक्त घटक द्रव्यों में से क्रमाँक-1 ब्राह्मी से लेकर क्रमाँक-13 सज्जीखार तक की औषधियां क्वाथ में प्रयोग करने के लिए है। इनका क्वाथ बनाकर सुबह शाम सेवन किया जाता है।

क्रमाँक-14 मुक्तापिष्टी से लेकर क्रमाँक-2 कामदुधारस तक के घटक द्रव्यों को उनकी निर्धारित मात्रा में लेकर सभी को एक साथ खरल करके एकरस करके बराबर मात्रा की दस पुड़िया तैयार कर लेते है। इनमें से एक पुड़िया प्रायः काल एवं एक पुड़िया 3 बजे दूध अथवा जल के साथ सेवन करते है। यदि इस पुड़िया को न ले रहे तो केवल मुक्तापिष्टी आधार ग्राम सुबह एवं आधा ग्राम भोजन के तीन घंटे बाद लेते रहना चाहिए।

पृष्ठ 36 के ही अंतिम पैराग्राफ में वर्णित गोली (बटी) के निर्माण के सम्बन्ध में यह स्पष्ट समझ लेना चाहिए कि क्वाथ एवं पुड़िया सेवन न करने वाले ही इस गोली को खाएँ। इस गोली के निर्माण में उच्च रक्तचाप के लिए वर्णित क्वाथ के समस्त क्रम-1 से क्रम-13 तक के घटक द्रव्यों के कपड़छन बारीक चूर्ण में निम्नाँकित चीजों का एकरस किया चूर्ण सम्मिलित रूप में प्रयुक्त किया जाता है। संशोधित मात्रा में ये द्रव्य है (1) मुक्तापिष्टी-1 ग्राम (2) मुक्ताशक्ति-2 ग्राम (3) चाँदी भस्म-5 ग्राम (4) प्रवालपिष्टी-2 ग्राम (5) शंख भस्म-2 ग्राम (6) नौसादर-3 ग्राम (7) कादुधारस-2 ग्राम। दोनों चूर्ण एक बार फिर से आपस में अच्छी तरह मिलाकर जब घृतकुमारी के गूदे के रस के आटे की तरह गूँथकर 1-1 पत्ती की गोली बनाकर सुखा लेते है। इनमें से 2 गोली सुबह एवं 2 गोली शाम को जल के साथ लेते है। रक्तचाप की जाँच कराते हुए बीपी की घट बढ़ के हिसाब से गोलियों की मात्रा कम ज्यादा कर सकते है। भोजनोपरान्त महाशंखबटी का सेवन यथावत चलता रहेगा।


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