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November 2003

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जो सब में अपने का अपने में सबको देखते है जो दुःख बँटाते और सुख बाँटते है, जिनके लिए समस्त संसार अपना कुटुँब है,ऐसे उदारचेता मनुष्य अपनी कर्मसाधना से परमात्म सत्ता के साथ घनिष्ठ होते जाते है। -परमपूज्य गुरुदेव


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