विचित्र-विलक्षण-चमत्कारी झीलें और नदिया

November 2003

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जिस तरह स्रष्टा परम आश्चर्य एवं विभूतियों से सम्पन्न है, उसी तरह उसके द्वारा रचित सृष्टि भी अद्भुत विलक्षणताओं से भरी पड़ी है। वैज्ञानिक प्रगति के इस दौर में भी, जब मनुष्य बहुत जानकार होने का दावा करता है, कुछ ऐसी विलक्षणताएँ देखने को मिलती हैं, जिन्हें देखकर दाँतों तले उँगली दबानी पड़ती है और प्रकृति की विशेषताओं के सामने नतमस्तक होकर उसके सृजेता के प्रति श्रद्धानत होना पड़ता है। प्रस्तुत है कुछ ऐसी ही प्रकृति की विशेषताएँ जो स्वयं में रहस्य एवं रोमाँच से भरी पूरी हैं।

झीलों व नदियों का सामान्य रंग आसमानी नीला, मटमैला या बाढ़ के कारण कुछ और हो सकता है तथा यह प्रायः एक जैसा ही रहता है। किन्तु विश्व के विभिन्न स्थलों पर कुछ ऐसी झीलें व नदियाँ हैं, जो कुछ अलग ही रंगत लिए हुई हैं और कुछ तो अपना रंग भी बदलती रहती हैं। आस्ट्रेलिया में एक ऐसी झील है, जो मौसम के अनुसार अपना रंग बदलती है। नवम्बर-दिसम्बर में इसका जल गहरा नीला हो जाता है, फिर जून में हरा और अगस्त-सितम्बर में दूध की तरह सफेद हो जाता है। आश्चर्य की एक बात यह भी है कि झील के रंग परिवर्तन का इसके जल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है और वह स्फटिक के समान स्वच्छ रहता है।

कुछ नदियाँ अपने विशिष्ट रंगों एवं बहुरंगी छटा बिखेरने की विशेषता के लिए प्रख्यात् हैं। इस संदर्भ में मासाइलैंड की काली नदी तथा चीन की पीली नदी बेमिसाल हैं। आस्ट्रिया की ‘ब्लू डेन्यूव’ नदी, ‘मूली इल्ज’ नदी तथा ‘पीली इन’ नदी के मिलन से समृद्ध होकर आगे बढ़ती है। संगम स्थल से काफी दूर तक इनके मिलन से बनी पट्टीदार तिरंगी छटा देखते ही बनती है। स्पेन की ‘रिओरिटो’ नदी में एक ऐसा खनिज भरा पड़ा है जिसके हवा से संपर्क आते ही पूरी नदी लाल रंग में बदल जाती है। उस क्षेत्र में हवा जितनी तेज चलती है, नदी उतनी ही रक्तवर्णी हो जाती है।

झीलों का नाम सुनते ही सामान्यता जल से भरे वृहद् भूखण्ड की कल्पना उभर कर सामने आती है। किन्तु कुछ झीलें ऐसी भी हैं, जिनमें जल की जगह कुछ और ही भरा मिलता है। वेस्टइंडीज के ‘त्रिनिदाद’ नामक द्वीप में एक ऐसी झील है, जिसमें पानी की जगह तारकोल भरा हुआ है। यह झील 29 फीट गहरी और एक मील लम्बी है। सामान्यता यह तारकोल ठोस अवस्था में ही रहता है। कभी-कभी वह बहुत स्थलों पर तरल भी हो जाता है और उसमें बुलबुले भी उठने लगते हैं। वैज्ञानिकों का मत है कि यह खनिज तेल की सूखी हुई झील है जो हजारों वर्ष पहले किसी भूखण्डीय उथल-पुथल के कारण अस्तित्व में आयी होगी। इसी तरह अमेरिका में साबुन की कई झीलें हैं। इनमें से एक झील तो चालीस फुट से भी अधिक गहरी और 69 एकड़ भूखण्ड में विस्तार लिए हुए है। वैज्ञानिकों के अनुसार, झील की भूमि में बहुत सा क्षार जमा हुआ है। यही क्षार नीचे पृथ्वी से निकल रहे प्राकृतिक तेल से मिलकर साबुन की झील को जन्म देता है। अतः झील के जल से साबुन की आवश्यकता भली-भाँति पूरी हो जाती है।

कुछ नदियाँ अपने जल के विलक्षण स्वाद के लिए प्रख्यात् हैं। चिली और अर्जेन्टीना देशों के बीच सीमा रेखा की तरह बहने वाली नदी - ‘रायओद विनाग्रै’ के जल का स्वाद ताजे नींबू पानी की तरह खट्टा है। इसमें इच्छानुसार चीनी या नमक मिलाकर शर्बत तथा शीतल पेय का आनन्द लिया जा सकता है। पूर्वी अफ्रीका में ‘एगारीन्यकी’ नाम की एक भूरे रंग की नदी है। जो ‘बीयर’ जैसा स्वाद लिये हुए है, हालाँकि इसमें अल्कोहल का कोई अंश नहीं पाया जाता है। इसका पीने वालों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है। स्थानीय लोग उबालकर इसका जल ग्रहण करते हैं।

अल्जीरिया में एक नदी ऐसी है। जिसका जल स्याही सरीखा गहरा नीला है। इससे कागज पर आसानी से लिखा जा सकता है। इसकी खोज लगभग नौ दशक पूर्व वैज्ञानिकों ने की थी। उनके अनुसार इसके रंग का कारण लोहा तथा लेड आक्साइड है, जिनका रासायनिक मिश्रण अच्छी स्याही को जन्म देता है। यहाँ की भूमि में इन रसायन तत्त्वों की अधिकता है अतः यह अद्भुत नदी यहाँ अस्तित्व में है।

बेल्झिया द्वीप पर ‘हरनोई’ नामक एक विचित्र कुण्ड है जिसका जल हरा है। इस कुण्ड में यदि कोई पुरुष स्नान के लिए उतरता है तो उसे पानी में पहुँचते ही एक प्रकार का झटका लगने लगता है और वह पानी बाहर निकल जाता है। जबकि यदि कोई स्त्री कुण्ड के पानी में उतरती है तो वह रोमाँचित हो उठती है और उसका कुण्ड में निकलने का मन ही नहीं करता है।

हवाई द्वीप में एक आग उगलने वाली झील है, जिसे स्थानीय लोग ‘आग की झील’ कहते हैं। यह झील ‘मोना’ नामक ज्वालामुखी के मुहाने पर बनी है, जिसमें उबलता हुआ लावा भरा हुआ है। अतः इस झील से सदा आग की लपटें और धुँआ ही निकलता रहता है।

झीलों के देश आयरलैण्ड में एक अद्भुत झील है, जिसमें यदि कोई वस्तु डाली जाती है तो वह पत्थर बन जाती है। वस्तु पानी में पड़ते ही क्रमशः पत्थर की तरह जमने लगती है और अन्ततः बहुत कठोर हो जाती है। विज्ञानविद् कई शोध, अनुसंधानों के बावजूद इसका संतोषजनक समाधान नहीं खोज पाये हैं।

अफ्रीका की ‘असाल’ झील विश्व की सबसे अधिक खारी झील है। इसका जल जोर्डन की सीमा पर स्थित मृत सागर अर्थात् ‘डैड सी’ से सात-आठ गुना अधिक खारा है। इसके उच्च घनत्व के कारण इसमें कोई डूब नहीं सकता। स्नान करने वाले बड़े आनन्द से इसमें उत्प्लावन का आनन्द लेते हैं, क्योंकि उनके सिर तथा पैर जल से ऊपर ही रहते हैं। अतः लोग बड़े मजे से पानी में पीठ के बल लेटे-लेटे ही पुस्तक या अखबार पढ़ते रहते हैं।

प्रकृति के ये विलक्षण तथ्य, ज्ञान एवं आश्चर्य के अन्वेषी मानव मन को रोमाँचित करने वाले हैं। इनमें कुछ के पीछे विद्यमान कारण वैज्ञानिक दृष्टि से स्पष्ट हैं, किन्तु कुछ अभी भी उसके लिए चुनौती बने हुए हैं और उसे और गम्भीर-गहन शोध-अन्वेषण के लिए उत्प्रेरित कर रहे हैं।


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