शक्ति सामर्थ्य जुटकर खड़ी हो गई (kahani)

November 2003

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भगवान बुद्ध के समय श्रावस्ती में भयंकर अकाल पड़ा। साधनसंपन्न लोग न केवल घरों में छिप गए, अपितु अपने पास उपलब्ध अन्न वस्त्र भी छिपा बैठे। ऐसे समय बुद्ध के समक्ष सुप्रिया नाम की एक कुलीन कन्या ने राज्य के भरण पोषण की प्रतिज्ञा की। वह घर घर जाकर अन्न वस्त्र माँगने लगी। उसकी निष्ठा से जन भावनाएँ उमड़ उठी और देखते देखते अकाल से लड़ने वाली शक्ति सामर्थ्य जुटकर खड़ी हो गई।


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