VigyapanSuchana

August 1991

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

पाक्षिक प्रज्ञा अभियान का प्रकाशन

श्रद्धाँजलि समारोह के पश्चात से मिशन विराट् रूप धारण करता जा रहा है। देश और विश्वव्यापी गतिविधियाँ जानने के लिए अपने परिजनों की जिज्ञासा के समाधान का एक ही रास्ता था मिशन का कोई समाचार पत्र निकाला जावे।

इस आवश्यकता की पूर्ति के लिए “प्रज्ञा अभियान” नामक पाक्षिक का प्रकाशन प्रारंभ किया गया है। लागत से भी नितान्त स्वल्प मूल्य मात्र 15/- वार्षिक चंदे पर प्रकाशित पाक्षिक की सदस्यता के लिए शान्तिकुँज हरिद्वार से संपर्क करें।

ताकि वहाँ पहुँचते ही लोग देवभूमि पहुँचने की सी शान्ति और गरिमा अनुभव करें।

जप के लिए बैठने वालों के लिए आसन और सामने पूजा की तश्तरी में अक्षत, पुष्प, रोली, अगरबत्ती दान, माचिस तथा पंचपात्र आचमनी आदि रखने के लिए पाटा रखा जाये। पाटे पीले रंग के हो, तो अच्छा। जप के समय साधक पीले परिधान में रहें। पीला दुपट्टा ओढ़ लेने से भी काम चल सकता है। जो लोग पीले वस्त्र या उपवस्त्र का प्रबंध न कर पायें, उन्हें सम्मानपूर्वक पिछली पंक्तियों में बैठने का आग्रह किया जाये। महिला और पुरुषों की पंक्तियाँ अलग-अलग रहें, दोनों के बीच प्रायः चार फुट का अंतर रखा जाये। महिलायें इस अवधि में केवल मंगल आभूषण धारण कर सकती हैं। सौंदर्य प्रधान आभूषण और वस्त्र कोई भी धारण न करें। साधकगण इन तीन दिन की अवधि में हलका और सुपाच्य भोजन लें, ब्रह्मचर्य व्रत पालन करें, क्रोध न करें, नशीली वस्तुओं का कतई कोई सेवन न करें। आयोजन स्थल की सुरक्षा के सभी उपाय आयोजकों को पहले से सुनिश्चित कर लेना होगा। जहाँ आवश्यक हो वहाँ उसकी सूचना लिखित में प्रशासन को भी दे दी जाए। लाउडस्पीकर, हॉर्न, बिजली बैटरी के सभी प्रबन्ध पहले से किए जाएँ ताकि अन्तिम समय पर उनकी भागदौड़ न हो। गीतों के कैसेट यद्यपि टोली भी लेकर चलेगी, पर पहले से वातावरण बनाने की दृष्टि से उनकी व्यवस्था आयोजक पहले से रखें। तश्तरी तो प्लास्टिक की भी हो सकती है, पर आचमनी-पंचपात्र स्टील या पीतल के पहले से मँगाकर रखने चाहिए। पूजन सामग्री, कलावा, धूप, दीप, पर्याप्त संख्या में यज्ञोपवीत और माचिस, अगरबत्ती यह सब पहले से तैयार रखें।

दीप यज्ञ के दिन सभी लोग अपनी-अपनी थालियाँ लेकर आएँगे, उनमें तीन आटे के दीपक बाती और एक घंटा तक जलता रह सकने, जितना घृत सभी परिजन साथ लेकर आयें। घी-बाती ओर अगरबत्ती की व्यवस्था आयोजक चाहें तो अपनी ओर से भी रख सकते हैं।

कहने वाली बात नहीं है यह आयोजन एक अव्यक्त और अभूतपूर्व महाशक्ति उपार्जित करेंगे। उसका पुण्यफल सारा देश, सारी दुनिया चिरकाल तक प्राप्त करती रहेगी।

यह कार्यक्रम सुविधा की दृष्टि से शृंखलाबद्ध बनेंगे। एक बार शृंखला बन जाने पर बीच में किसी को जोड़ना संभव नहीं होगा। अतएव जिन्हें अपने यहाँ यह शक्ति साधना कार्यक्रम रखने हो वे अविलम्ब पत्र लिखकर अथवा तार से आवेदन करें। स्मरण रखें यह एकाकी कार्यक्रम नहीं, अतएव आवेदन पत्र प्रायः 5 से लेकर 11 व्यक्तियों के हस्ताक्षरों सहित आने चाहिए। किसी को भी व्यक्तिगत सम्मान के लिए यह कार्यक्रम दिए नहीं जाएंगे। संघ शक्ति के अवतरण के लिए आयोजन की सभी व्यवस्थाएँ भी संघीय रहेंगी व्यक्तिवादी नहीं। सो यह परिपत्र जिन हाथों में पहुँचे, वे इसे अपने स्नेह संपर्क के सभी कर्मठ और मिशन में निष्ठा रखने वाले परिजनों को पढ़ा दें और सारी संभावनाओं पर परस्पर परामर्श के पश्चात् आयोजन के लिए आवेदन करें।

जिस आत्म शक्ति के उदय से संसार की समस्याएँ सुलझेंगी युग परिवर्तन का देव संकल्प पूर्ण होगा, वह बीज इन आयोजनों में सन्निहित है। इन्हें सम्पन्न कराने वाले स्वयं भी अक्षय पुण्य के पात्र और श्रेय के अधिकारी बनेंगे। इन साधनाओं से मनुष्य में देवत्व का उदय और धरती पर स्वर्ग के अवतरण का एक बड़ा लक्ष्य पूर्ण होगा।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles