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August 1991

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फूल चुनकर इकट्ठे करने के लिए मत रुको। चल पड़ो, तुम्हारी राह में फूल खिलते मिलेंगे।

प्रदान कर सकते हैं? इसका उत्तर स्वयं देते हुए लारेंस कहते हैं-ऐसा कदापि संभव नहीं है। हमें स्थायी परिवर्तन के लिए एक ऐसी आध्यात्मिक महाक्रान्ति का श्रीगणेश करना होगा जो अहिंसात्मक हो, वैचारिक हो तथा जिसका लक्ष्य सम्पूर्ण विश्व मानव हो न कि सीमित व्यक्तियों अथवा एक समाज विशेष मात्र का परिवर्तन।

पिछले दिनों राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, बौद्धिक एवं वैज्ञानिक क्षेत्र की क्रान्तियों ने मानव जीवन में असाधारण परिवर्तन प्रस्तुत किया है। अब बारी आध्यात्मिक महाक्रान्ति की आयी है। कहना होगा कि आध्यात्मिक क्रान्ति द्वारा ही व्यक्ति का बाह्यांतर परिवर्तन तथा समाज का पुनर्निर्माण संभव है। इस आध्यात्मिक महाक्राँति की चिंगारी उत्कृष्ट व्यक्तियों की आहुति पाकर प्रज्वलित होगी और संगठित प्रयासों के बलबूते दावानल का स्वरूप ग्रहण करेगी। नवसृजन के इस महाक्रान्ति आयोजन में उन भावनाशीलों को आगे बढ़कर हिस्सा बँटाना होगा जो समस्त मानवजाति का भविष्य उज्ज्वल देखने के इच्छुक हैं तथा मानव में देवत्व के उदय की संभावना को स्वीकारते हैं।


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