किसी विशेष विषय में विद्वान समझे जाने वाले भी व्यक्तिगत जीवन में ऐसे अनगढ़ पाये गये हैं जिन्हें पूर्ण पागल नहीं तो अर्थ विक्षिप्त तो कहा ही जा सकता है।
साहित्यकार बेकन वर्षा के समय खुली गाड़ी पर चढ़कर इसलिए निकलता था कि पेड़ पौधों की तरह उसका शरीर भी हरा भरा हो जाय। एक फ्रांसीसी विद्वान बिजली के खंभे छूते हुए और गिनते हुए चलता था। गिनती में कभी भूल हो जाती तो लौटकर सड़क के मोड़ से फिर उस गिनती को आरम्भ करता।
वायरन को डरावने सपने आते थे। वह उनका सामना करने के लिए दो भरी हुई पिस्तौलें अगल बगल रखकर सोता था। फ्रांसीसी लेखक डयमा नीले रंग के कागजों पर उपन्यास, पीले पर कविता लिखता था। डयूमा कमरे के बांये कोने में बैठता था। वाल्टर स्काट अपनी एक कविता की बड़ी प्रशंसा करता था और इसे वायरिन की बनाई हुई बताया करता था।
ओलिवर होम्स प्रतिभावानों को अर्थ विक्षिप्त बताया करते थे। बाइबिल में एक प्रसंग आता है जिसमें कहा गया है अधिक पढ़ने से तू पागल हो गया है।
परिवार को सुसम्पन्न छोड़ मरने, शरीर को अधिकाधिक विलासी अहंकारी प्रदर्शित करने, महत्वाकाँक्षाओं की आग में निरन्तर जलते रहने की मूर्खताएँ ऐसी हैं, जो वे लोग किसी भी प्रकार अपनाने के लिए तत्पर न हों जिन्हें जीवन सम्पदा का सदुपयोग करना और इस महान उपलब्धि को सार्थक बनाते हुए स्वयं को धन्य बनाना है।