अध्यात्म की सीढ़ियों के सहारे (Kahani)

August 1991

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

सिन्ध कालेज के प्रिंसिपल टी. एल.वास्वानी आरंभिक जीवन में अध्ययन और अध्यापन में लगे रहे। शिक्षा क्षेत्र में उन्होंने बढ़-चढ़ कर ख्याति पाई।

अधेड़ होते ही उन्होंने अपना जीवन सार्वजनिक सेवा के लिए समर्पित कर दिया। स्वतंत्रता संग्राम में जेल गये और फिर देश को ऊँचा उठाने वाले सहयोग में लग गये। उनके जीवनक्रम में असंख्यों को प्रेरणा मिली।

आज हमारी स्थिति सर्वथा उल्टी है। हम विज्ञान को महत्व तो दे रहे हैं, पर उसके पूरक और नितान्त महत्वपूर्ण अंग ज्ञान अर्थात् अध्यात्म विज्ञान की उपेक्षा कर रहे हैं, जबकि दोनों की गति-प्रगति और मनुष्य का कल्याण उनके साथ-साथ रहने में ही है। ज्ञान को यदि ‘आँख’ की संज्ञा दी जाय, तो विज्ञान हमारा ‘पैर” होगा। एक के बिना दूसरा एकाँगी अधूरा कहलायेगा व लाभ की जगह हानि ही पहुँचायेगा। हम अध्यात्म की अवज्ञा कर तो रहे हैं, पर दूसरी ओर यह भी भुला नहीं दिया जाना चाहिए कि कहीं हमारा यह प्रयास हमें एक देशीय एकमुखी न बना दे। स्मरणीय तथ्य यह भी है कि अध्यात्म की उपेक्षा कर विज्ञान की ऊंचाइयों को प्राप्त करने का प्रयास करना सूर्य को दीपक दिखाने के समान है। हमारे पूर्वज विज्ञान के एवरेस्ट पर अध्यात्म की सीढ़ियों के सहारे ही पहुँच सके थे। आज भी ऐसा ही करना होगा।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles






Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118