जीवन में स्थान (Kahani)

August 1991

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द्वितीय महायुद्ध के दिनों अलफ्रेड नोबुल ने डाइनामाइट बारूद का आविष्कार किया। पक्ष-विपक्ष दोनों ने उसे खरीदा आविष्कारक को भारी लाभ हुआ।

संग्रहीत पैसे का क्या किया जाय? इस संबन्ध में उसने उदारतावादी लोकहित वाला दृष्टिकोण अपनाया। अरबों की सम्पदा का उसने ट्रस्ट बना दिया और उसके ब्याज से संसार भर के विशिष्ट व्यक्तियों को पुरस्कृत करने की योजना बनाई।

इस योजना के अंतर्गत इन दिनों प्रत्येक विषयों के मूर्धन्य विद्वानों को लगभग चार लाख की पुरस्कार राशि मिलती है। प्रतिभाओं के निखार में इससे भारी योगदान मिलता है।

लोनावाला-महाराष्ट्र के अनुसंधानकर्ताओं ने सर्वांगासन एवं मयूरासन को सामान्य स्वस्थ, संवर्धन और दुर्बलता ग्रसित रोगियों के लिए अन्य आसनों की तुलना में अधिक उपयोगी पाया है। चैकोस्लोवाकिया के प्रयोगकर्ता वैज्ञानिकों ने भुजंगासन एवं शवासन के आधार पर मानसिक तनाव मिटाने में असाधारण रूप में सफलता पायी है।

योगाभ्यास परक आसन, प्राणायाम पूर्णतः वैज्ञानिक व्यायाम उपचार है। इनमें माँसपेशियों में खिंचाव एवं फैलाव होने से रक्तप्रवाह की गति में तीव्रता तो आती ही है, साथ-साथ शरीर के सूक्ष्म ऊर्जा केन्द्रों पर भी दबाव पड़ता है। फलतः स्वास्थ्य संवर्धन के साथ चेतनात्मक परिष्कार एवं अन्यान्य आध्यात्मिक लाभ भी होते हैं। इन्हें जीवन में स्थान मिलना ही चाहिए।


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