आत्म विश्वास जीवन की सबसे बड़ी शक्ति है। आत्म विश्वासी कभी हारता नहीं। कभी थकता नहीं। कभी गिरता नहीं। कभी मरता नहीं।
इसके लिए धर्म की मान्यताओं को विवेक के, विज्ञान के न्यायालय में प्रस्तुत करना होगा, तर्क एवं उपयोगिता की कसौटी पर कस कर उन सिद्धाँतों को अपनाना होगा जो जीवन के परिष्कार एवं उत्थान में अपना योगदान देते हों, मनुष्य-मनुष्य के बीच प्राणिमात्र के बीच स्नेह-सद्भाव उत्पन्न करते हों। समाज की अन्यान्य अगणित समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करते हों। तर्क एवं परीक्षण की इन कसौटियों पर खरा उतरने के उपरान्त ही धर्म, दर्शन या अध्यात्म बुद्धिग्राहय हो सकता है। वर्तमान परिस्थितियों में जबकि व्यक्तित्व के विकास के सारे प्रयत्न असफल हो रहे हैं, धर्म तत्व को आगे बढ़कर अपनी महत्वपूर्ण भूमिका सम्पन्न करनी होगी, पर यह तभी संभव हो सकता है ज ब वह परीक्षण की भट्टी में अपने को निर्भीकतापूर्वक प्रस्तुत करें। भौतिकी ने जिन आधारों पर अपने को प्रामाणिक ठहराया है, उन्हीं आधारों पर आत्मिकी को भी प्रामाणिक एवं उपयोगी सिद्ध करना होगा। समय की इस माँग को स्वीकार करने के अतिरिक्त और कोई चारा नहीं।