सादगी का फल (Kahani)

May 1987

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

मधुमक्खी उड़ती-उड़ती एक फूल पर जा बैठी और मकरन्द चूसने लगी। एक तितली भी वहीं मँडरा रही थी उसने पूछा-”बहन, यह क्या कर रही हो, हमें भी तो बताओ?”मधुमक्खी ने कहा-”मधु इकट्ठा कर रही हूँ और फिर अपने काम में जुट गई” ।

तितली हँस कर बोली-”बहन तुम भी कितनी नादान हो। छोटे से फूल में कहीं मधु रखा है, बेकार समय और शक्ति खराब कर रही हो? आओ हम दोनों चलकर कहीं मधु के तालाब की खोज करें।”

मधुमक्खी कुछ न बोली, चुपचाप अपने काम में लगी रही। तितली सारा वन छानती रही। शाम को दोनों घर लौटी तो मधुमक्खी के पास मधु का ढेर जमा था और तितली खाली हाथ लौट रही थी।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles