सन्त की सूझ (kahani)

May 1987

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एक राजा था। उसके राजमहल में एक सन्त पधारे। राजा ने अपना महल, शस्त्रागार, खजाना, आदि वैभव दिखाए सबके पीछे वे उस तिजोरी के पास ले गए जिसमें बहुमूल्य रत्न भरे पड़े थे।

सन्त ने अनजान की तरह पूछा-”भला इन रत्नों से आपका क्या प्रयोग सधता है? क्या लाभ मिलता हैं?” राजा ने कहा-लाभ तो कुछ नहीं उलटे रखवाली पर खर्च उठाना पड़ता है।

सन्त ने कहा-इन्हें बेच कर आटा पीसने की चक्कियाँ खरीदकर प्रजाजनों को बँटवा देवें। बन्द पत्थरों की तुलना में चलने और कुछ कमाने वाले पत्थर अधिक उपयोगी रहेंगे।


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