चमकीली आँखों, सुन्दर सूरतों और चतुर प्रतिभाओं की मण्डली से मिलना तो सहज होता रहता है। पर ऐसी विभूतियाँ कदाचित ही उपलब्ध होती हैं जो आत्मा से कुछ कह सकें। या उसकी बात सुने के।