सत्प्रवृत्ति संवर्धन की दिशा में बढ़ते चरण

May 1987

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राष्ट्र के सर्वांगीण विकास हेतु अध्यात्म एवं भौतिकी के समन्वय हेतु संकल्पित प्रज्ञा अभियान ने इन दिनों चारों और वनौषधि यजन के सामूहिक आयोजन एवं राष्ट्रीय एकता सम्मेलनों की जो फिजा बनायी हैं, उससे जन मानस जागा है। समाज निर्माण के प्रगतिशील कार्यक्रम अध्यात्म मंच से न केवल उद्घोषित होते हैं अपितु उनका सक्रिय क्रियान्वयन भी जब आरम्भ हो जाता है, तो आशा बँधने लगती है कि समय अवश्य बदलो। विचार क्राँति का स्वप्न अवश्य पूरा होगा। हर अंचल से आने वाला समाचार इस तथ्य की साक्षी देता है।

बोकारो (बिहार) सेक्टर 9 में गायत्री शक्ति पीठ प्राँगण में आयोजित राष्ट्रीय एकता सम्मेलन आशातीत सफलताओं के साथ सम्पन्न हुआ। इस कार्यक्रम में राँची, धनबाद, हजारीबार, गिरीडीह एवं गोड्डा जिले के हजारों प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

समारोह का उद्घाटन महिला समिति की अध्यक्ष श्रीमती हेमा रामकृष्णन ने किया। सम्मेलन में बोकारो स्टील प्लान्ट के प्रबन्ध निदेशक श्री एस.आर. रामकृष्णन, जामा मस्जिद बोकारो के इमाम श्री करी मुहम्मद अली तथा मुहम्मद कैशर जामा, जी.ई.एल. चर्च के फादर रेव.जो. टोपनो सहित अन्यान्य प्रवक्ताओं ने मानवीय एकता पर अपने-अपने विचार व्यक्त किए। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए जन-जन सत्साहित्य पहुँचाने की व्यवस्था स्थानीय कार्यकर्त्ताओं ने की।

नागपुर (महाराष्ट्र) जगनाडे़ चौक पर आयोजित राष्ट्रीय एकता सम्मेलन में भाग लेने हेतु दूर-दराज के अंचलों से असंख्य लोगों के पहुँचने का क्रम लगातार बना रहा। विभिन्न स्थानों से आयोजन स्थल तक पहुँचने के लिए विशेष बसों की व्यवस्था की गई।

सम्मेलन में मुस्लिम समुदाय के हाजीशेख, शौकत कुरेशी (विधायक), श्री इच्छापुरी जी (पारसी) विश्व हिन्दू परिषद के श्री सी.सी.जे. ठक्कर एवं जैन, बौद्ध सिख, ईसाई आदि समुदाय के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। सभी ने राष्ट्रीय-एकता के लिए प्रज्ञा मिशन द्वारा किए जा रहे कार्यक्रमों की सराहना करते हुए अपने स्तर का सहयोग देने का आश्वासन दिया।

कुक्षी (धार, म.प्र.) आयोजन से चार दिन पूर्व ही समूचे क्षेत्र में पीले चावल के साथ घर-घर जाकर आमंत्रण दिया गया। फलस्वरूप शोभायात्रा के समय से ही कार्यकर्त्ताओं का परिश्रम सार्थक दिखने लगा जब ऊँट, घोड़े, हाथी, बैण्डबाजे, शहनाई, ढोल, नगाड़े, बिगुल एवं शंख ध्वनि के साथ चल रहे जुलूस का स्वागत हर धर्म सम्प्रदाय के अनुयायियों ने स्वागत द्वार बनाकर पुष्पवृष्टि के साथ किया।

सम्मेलन में जैन समाज के श्री मणिलाल, ईसाई धर्म के पादरी अर्थर सेमसन, सिक्ख धर्म के श्री प्रीतमसिंह छाबड़ा, मुस्लिम समाज के सदर मुहम्मद हुसैन के अतिरिक्त कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुक्षी परियोजना के प्रशासक श्री आर. आर. गंगारेकर ने एकता और सद्भावना की आवश्यकता बताते हुए इस आयोजन को अभूतपूर्व कदम बताया।

कायावरोहण (बड़ोदरा, गुज.) राष्ट्रीय-एकता सम्मेलन ऐतिहासिक छाप छोड़ते हुए सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में सभी धर्म सम्प्रदाय के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। पारसी प्रतिनिधि श्री टेमुरस फकीरशाह अंकलेश्वरिया इस कार्यक्रम से अत्याधिक प्रभावित हुए। इस अवसर पर सभी कर्मठ कार्यकर्त्ताओं ने युग चेतना से समूचे क्षेत्र को अनुप्राणित करने के लिए टोली बद्ध रूप से अशिक्षा निवारण के लिए प्रौढ़ पाठशालायें चलाने तथा भावी पीढ़ी के अन्दर मानवीय गुणों के विकास के लिए बाल संस्कारशालायें चलाने का संकल्प लिया।

बोरसद (खेड़ा, गुज.) स्थान नया होते हुए भी समीपवर्ती क्षेत्रीय कार्यकर्त्ताओं के सहयोग से राष्ट्रीय एकता सम्मेलन शानदार ढंग से सम्पन्न हुआ। इस क्षेत्र में इस तरह का यह पहला कार्यक्रम था। जिसकी आम जनता ने भूरि-भूरि प्रशंसा की।

सम्मेलन में रचनात्मक कार्यक्रमों के अंतर्गत सद्वाक्य लेखन के द्वारा अनायास ही मिलने वाले मार्गदर्शन पर विशेष जोर दिया गया। रास्ते चलते राहगीर भी प्रेरणा एवं प्रकाश प्राप्त कर सकें, इसके लिए कार्यकर्ताओं ने इस कार्यक्रम को नियमित रूप से चलाने का संकल्प लिया। कार्यक्रम की सफलता में श्री पी.जे. रावल का सराहनीय योगदान रहा।

गाडरवारा (नरसिंहपुर, म.प्र.) राष्ट्रीय एकता सम्मेलन जन जागरण के महान उद्देश्य को पूरा करता हुआ सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में सम्मिलित जन समुदाय में से अधिकाँश प्रबुद्ध वर्ग था।

कार्यक्रम से उभरे उत्साह को स्थायी बनाये रखने के लिए स्थानीय कार्यकर्त्ताओं ने आयोजन में ही रचनात्मक कार्यक्रमों के संचालन की सुव्यवस्थित योजना बनाई। जिसके अंतर्गत जन्म दिन, सद्वाक्य लेखन, झोला पुस्तकालय, वृक्षारोपण जैसे कार्यक्रमों को तुरन्त ही टोली-बद्ध रूप से क्रियान्वित करने का संकल्प लिया।

जशपुर नगर (म.प्र.) राष्ट्रीय एकता सम्मेलन की शोभायात्रा में ईसा, मोहम्मद, नानक, बुद्ध तथा अन्य महापुरुषों, सन्तों की शिक्षाओं के पोस्टरों से सुसज्जित झाँकियाँ अपार जनसमूह के साथ शानदार शुरुआत का परिचय दे रही थी।

कार्यक्रम के दूसरे दिन से वर्षा के कारण व्यवधान तो हुआ, पर सामूहिक सभा का कार्यक्रम न होने पर इस समय का उपयोग कार्यकर्त्तागोष्ठी के रूप में हुआ, जिसमें रचनात्मक कार्यक्रमों को क्रियान्वित करने के लिए योजनाबद्ध रूप से काम करने का संकल्प लिया गया। आयोजन में ईसाई परिवार के सदस्यों ने भी यज्ञोपवीत व नामकरण संस्कार कराये।

ओबेदुल्लागंज (भोपाल) कार्यक्रम में उमड़ते जन समूह को देखकर स्थानीय कार्यकर्ता आश्चर्यचकित रह गए। मानों किसी अदृश्य सत्ता ने घर-घर जाकर आयोजन में सम्मिलित होने के लिए विवश किया हो।

चारों दिनों तक नगर के गणमान्य व्यक्तियों के अलावा विधायक, साँसद तथा केबिनेट स्तर के मंत्री सहज ही सम्मिलित होते रहे। शालेय शिक्षा मंत्री श्री बंशीलाल धृतलहरे तथा खाद्य आपूर्ति मंत्री श्री कन्हैयालाल शर्मा विशेष रूप से जन समुदाय को मिशन के प्रति स्वयं की अनुभूतियाँ सुनाकर लाभान्वित करते रहे। उत्तर प्रदेश सरकार की तरह मध्य प्रदेश के शिक्षा विभाग के सदस्यों को नैतिक शिक्षा प्रशिक्षण देने के लिए किए जा रहे प्रयासों की भी जानकारी श्री धृतलहरे ने दी।

पालनपुर (गुज.) यहाँ राष्ट्रीय-एकता सम्मेलन शानदार सफलता के साथ सम्पन्न हुआ। दो किलोमीटर लम्बी शोभायात्रा ऐतिहासिक रही।

राष्ट्रीय-एकता सम्मेलन में इस्लाम, ईसाई, जैन, सिक्ख, पारसी प्रतिनिधियों ने अपूर्व उत्साह के साथ भाग लिया, सभी ने राष्ट्रीय-एकता के लिए मिशन द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की व राष्ट्रीय-एकता की शपथ ली।

समूचे क्षेत्र में ज्ञान का प्रकाश फैलाने के उद्देश्य से झोला पुस्तकालय एवं ज्ञान रथ नियमित रूप से चलाने का संकल्प कर्मठ कार्यकर्त्ताओं ने लिया। पच्चीस हजार तक की कीमत का साहित्य तो आयोजन के समय ही श्रद्धालुओं द्वारा खरीदा गया।

धापी (गुज.) मुस्लिम बाहुल्य बस्ती में राष्ट्रीय एकता का प्रत्यक्ष नमूना यहाँ देखा गया। जब 20 हजार लोगों से सुसज्जित शोभायात्रा का स्वागत स्थान-स्थान पर मुस्लिम भाइयों द्वारा स्वागत द्वार बनाकर किया गया।

राष्ट्रीय-एकता सम्मेलन का उद्घाटन पंडित लीलापत शर्मा द्वारा किया गया। इस अवसर पर उन्होंने वर्तमान परिस्थितियों का उल्लेख करते हुए युग निर्माण योजना द्वारा राष्ट्रीय-एकता के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। अन्य धर्मावलम्बियों ने भी इन प्रयासों की भूरि-भूरि प्रशंसा की। कार्यक्रम में 1500 से भी अधिक विभिन्न संस्कार सम्पन्न कराये गये।

शिरपुर (महाराष्ट्र) राष्ट्रीय-एकता सम्मेलन को स्थानीय कार्यकर्त्ताओं ने अपने श्रम एवं आपसी तालमेल के कारण ऐतिहासिक बना दिया। कार्यकर्त्ताओं ने कार्यक्रम की तिथियाँ मिलते ही घर-घर जाकर संपर्क करने एवं आयोजन में सम्मिलित होने के लिए टोलीबद्ध रूप से आमंत्रण देने का काम प्रारम्भ कर दिया था। स्थानीय समाचार पत्रों के माध्यम से भी समूचे क्षेत्र में परमपूज्य गुरुदेव का संदेश आमंत्रण के साथ निरंतर पहुँचाया जाता रहा। इसी का परिणाम था कि कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए अपार जन समूह उमड़ पड़ा।

कार्यक्रम से उभरे उत्साह को दिशा देने के लिए नियमित जन संपर्क की व्यवस्था झोला पुस्तकालय के माध्यम से कार्यकर्त्ताओं ने टोलीबद्ध रूप से करने का संकल्प लिया।


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