बलिदान (Kahani)

May 1987

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ईसा के शत्रु उसकी जान के ग्राहक बने हुए थे। शिष्यों ने सलाह दी, हमें येरुसलम छोड़कर कहीं अन्यत्र चल देना चाहिए।

ईसा सहमत नहीं हुए और कहा सत्य को न तो डरना चाहिए और न भागना। बलिदान साथ में जुड़ जाने से तो वह और अधिक निखरता है।


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