समय और अधिकार (Kahani)

May 1987

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

भीष्म शरशय्या पर उत्तरायण सूर्य आने पर मरने की प्रतीक्षा में पड़े थे। इन दिनों वे उपस्थित जनों को धर्मोपदेश दिया करते थे। एक दिन द्रौपदी ने पूछा-जिन दिनों कौरवों के साथ आप थे, तब उन्हें यह धर्मोपदेश क्यों नहीं दिए थे?

भीष्म ने कहा-तब में उनका दिया अनीति का धन खाता था। कुधान्य से भ्रष्ट बुद्धि क्या उचित अनुचित का निर्णय करे और क्या उसका किसी पर प्रभाव पड़े। अब वह रक्त घावों से होकर रिस गया। अतएव धर्मोपदेश का सही समय और अधिकार भी सामने आ गया।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles