दक्षिण भाषाओं में युग साहित्य अब दक्षिण भारत की भाषाओं में भी प्रकाशित हो रहा है। परिजन अपने सत्र के इन भाषा भाषियों तक उक्त साहित्य का लाभ प्रयत्नपूर्वक पहुँचा सके, इसलिए उनके ज्ञातव्य दिये जा रहे है।
तेलगू-पूज्य गुरुदेव की आत्मकथा (हमारी वसीयत विरासत) षोडश संस्कार, साधना से सिद्धि आदि पुस्तकों सहित 32 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। गायत्री परिवार मासिक पत्रिका भी नियमित निकल रही है।
प्राप्ति स्थान-श्रीश्यामराव भूपैया अग्रहारम मु.पो.अमलापुर जि. ईस्ट गोदावरी (आ. प्र.)
तमिल- हमारी वसीयत विरासत का अनुवाद प्रकाशित हो चुका है। अन्य कई पुस्तकों का क्रम चालू है।
पता :- युग निर्माण योजना तमिल पब्लिशिंग ट्रस्ट 242/18 रोहिणी फ्लैट्स अन्नानगर (पश्चिम) मद्रास।
कन्नड़ एवं मलयालम- दोनों में अभी एक-एक पुस्तक, कन्नड़ में गायत्री आरती एवं मंत्रार्थ की पुस्तक तथा मलयालम में बिजनेइल सहचरीकल (सुनसान के सहचर) प्रकाशित हो चुकी है। आगे का क्रम चालू है।
प्राप्ति स्थान-साहित्य केन्द्र, शाँतिकुँज हरिद्वार 249411
*समाप्त*