एक पण्डित किसी के घर में मृत्यु होने के समय शोक संवेदना प्रकट करने और सांत्वना देने जाया करते। कितने ही कथा प्रवचन और दृष्टांत सुनाया करते थे उन्हें उस क्षेत्र का ज्ञानी माना जाता था।
एक दिन पण्डित जी की अपनी बकरी मर गई। वे बुरी तरह रोने लगे। भीड़ इकट्ठी हो गई। ज्ञानी को इस प्रकार शोक करने पर आश्चर्य व्यक्त किया।
पण्डित जी की इस बार तो आपकी बकरी मरी थी।
उसकी तुलना दूसरे घरों के हजारों मृतकों से कैसे हो सकती है।