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Akhand Jyoti
Year 1992
Version 2
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February 1992
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महापुरुषों की विशिष्टताओं से अपरिचित रहना-बालपन का जीवन बिताना ही है ।
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Page Titles
उपलब्धियों का सदुपयोग “श्रेष्ठतम समझदारी”
निर्धन की करुणा
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ईश्वर से अपने लिये क्या माँगें?
बात विनोद में बदल गई (Kahani)
प्रगति एवं उत्कर्ष का आधार नैतिकता
मेरे शेरपन की पुष्टि (Kahani)
अजूबों से भरी यह मायावी दुनिया
बड़प्पन के सही मानदण्ड
तेज रोशनी के बिना (Kahani)
प्रलयंकर का पश्चाताप
दो विरोधाभास का समुच्चय, हमारी जगती
दैनन्दिन व्यवहार (Kahani)
सत् चित् और आनन्द
उज्ज्वल भविष्य की एक और बानगी
किसी मूल्य पर बेचना (Kahani)
सज्जनों का संगठित प्रतिरोध भी अनिवार्य
कुछ मेहनताना मिलना चाहिए (Kahani)
कैसे जगाएँ प्रसुप्त प्राणाग्नि को
सदाचरण की शक्ति
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चिरयौवन हेतु जानें, निज के रसायनशास्त्र को
उद्धरेदात्मनात्मानं
स्वयं अमल नहीं किया (Kahani)
लीजिए प्रस्तुत है एक वैज्ञानिक भविष्य कथन
VigyapanSuchana
मानवी तत्त्वदर्शन का शिलान्यास हो
तुच्छ गहनों की रख वाली (Kahani)
साथ जाते हैं सत्कर्म- जुटाते हैं हम दुष्कर्म
गायत्री उपासना सफल कब होती है?
अकर्मण्यता नहीं युगधर्म ही वरेण्य !
विश्व शाँति का एक मेव आधार अपनत्व का विस्तार
विनिर्मित कर सकने में समर्थ (Kahani)
शक्ति से साथ युक्ति का सार्थक समन्वय !
सुनने समझने का प्रयत्न (Kahani)
घट-घटवासी उस परमसत्ता के प्रति निष्ठ
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पिछड़ेपन का मूल कारण- भाग्यवाद
पाण्डवों का अन्त समय (Kahani)
इस आतप का शमन करेगा अध्यात्म दर्शन !
ईरान का बादशाह (Kahani)
कौन सा त्याग श्रेष्ठ
शोक करने पर आश्चर्य व्यक्त (Kahani)
सामूहिक महामरण को उद्यत हम सब
वसंत पर्व पर विशेष - - गुरुतत्त्व की गरिमा एवं समर्पण की महत्ता
तन्मयता के अभाव में (Kahani)
अहंकार बनाम स्वाभिमान
आया देखो ! प्रिय वसंत (Kavita)
परम पूज्य गुरुदेव -लीला प्रसंग
ब्रह्मवर्चस् का शोध अनुसंधान-3
परमपूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी
दार्शनिक ने समाधान किया (Kahani)
अपनों से अपनी बात - - शक्ति संचार प्रक्रिया से आत्म शक्ति का उपार्जन-अभिवर्धन
VigyapanSuchana
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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