तन्मयता के अभाव में (Kahani)

February 1992

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

संगीतकार विथोपियन प्रायः राजकुमारों को संगीत विद्या सिखाया करता था। विद्यालय की धूम थी। छात्रों से उसका विद्यालय भरा रहता। छात्र अपनी-अपनी प्रतिभा के अनुरूप प्रवीणता भी प्राप्त करते, पर उनमें से कोई भी ऐसा न बन सका जो गुरु का स्थान ग्रहण कर सके।

अध्यापक से इसका कारण पूछा गया तो उसने बताया कि मैंने समूचा मनोयोग लगाकर लक्ष्य प्राप्ति की तरह अपने विषय में तन्मयता नियोजित की है और जीवन भर अधिक योग्यता बढ़ाने की चेष्टा की है जब कि प्रस्तुत छात्रगण मनोविनोद के लिए किसी प्रकार चिन्ह पूजा करने में समय बिताते हैं।

तन्मयता के अभाव में उनका स्तर पिछड़े जैसा रह जाता है।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles






Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118