एकाग्रता के चमत्कारी सत्परिणाम (Kahani)

December 1986

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बारूद को ढेर कर उसमें आग लगा दी जाय तो भक् से जल कर समाप्त हो जाय, पर यदि उसे बंदूक या तोप में भरकर एक दिशा विशिष्ट में गोली समेत धकेला जाय तो निशाने को तहस-नहस कर देगी।

सूर्य किरणें ऐसे ही बिखरी रहती हैं। पर यदि उन्हें आतिशी शीशे के द्वारा एकत्रित किया जाय तो थोड़े से दायरे का एकीकरण देखते-देखते आग जलने लगेगा।

ढेरों भाप ऐसे ही उड़ती रहती है। पर यदि उसे रोक कर एक नली विशेष से निर्धारित प्रयोजन के लिए नियोजित किया जाय तो रेलगाड़ी के इंजन दौड़ने लगते हैं।

नदियों में पानी निरर्थक बहता रहता है पर यदि बाँध बनाकर किसी नहर द्वारा बहाया जाय तो लम्बे क्षेत्र की सिंचाई होने और प्रचुर अन्न उपजने की संभावना बनती है। यह सब बिखराव को रोकने, एक दिशा नियोजन में प्रयुक्त करने की एकाग्रता के चमत्कारी सत्परिणाम हैं।


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