जो प्रामाणिक हैं उन्हीं का विश्वास करो। जो अनेक कसौटियों पर खरे उतरें मात्र उन्हीं से घनिष्ठ सम्बन्ध बनाओ। हर अवसर का मूल्याँकन करो और उसके सदुपयोग की बात सोचो। प्रगति के यही तीन तरीके है।
पिछले दिनों धर्म के नाम पर अधिकाँश सम्प्रदायों में रक्तपात हुए हैं। रिलीजियस फेनेटिसीज्म् का एक ताजा उदाहरण ईरान की ताजी स्थिति के रूप में देखा जा सकता है। इस कठमुल्लावाद से हिन्दू धर्म भी अछूता नहीं है। इतिहास साक्षी है कि धर्मोन्मादियों ने दूसरे मतावलम्बियों को दुष्ट या भ्रष्ट मानकर उन पर आक्रमण किया और अपने दुराग्रह की बलिवेदी पर असंख्यों का प्राण हरण किया।
अब हमें न्याय का अवलंबन लेना चाहिए। श्रद्धा को दुराग्रह की सीमा तक नहीं पहुँचने देना चाहिए। हम श्रद्धा का आश्रय लें, पर अंधश्रद्धा के गुलाम न बनें।