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Akhand Jyoti
Year 2000
Version 2
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January 2000
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जो देखे हुए पड़ोसियों से प्यार नहीं कर सकता , वह अनदेखे ईश्वर से क्या प्यार करेगा?
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Page Titles
नववर्ष का नया संकल्प
चेतना जगत् के रहस्यों का उद्घाटन करता है प्रतीकों का विज्ञान
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राजगुरु का पद (kahani)
एक सद्गृहस्थ -सद्गुरु
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शक्तियों के सुयोजन का संकल्प (kahani)
परोक्ष की सुनियोजित विधि - व्यवस्था का द्योतक है - संयोग
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यश और सुख (kahani)
विश्वास करें, न करें भूत-प्रेत होते तो हैं ।
वह द्वीप सुविधा संपन्न (kahani)
बंधनमुक्त विज्ञान अध्यात्म के और निकट होगा
धर्म धारणा का प्रशंसनीय (kahani)
ऐसे हुआ समाधान जिज्ञासा का
अपनी हीनता समझी (kahani)
अन्तर्भावों की अभिव्यक्ति के विभिन्न रूप
महापुरुषों का दृष्टिकोण (kahani)
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वयोवृद्ध पति की सेवा (kahani)
गहराता जाता है बरमूडा त्रिकोण का रहस्य
असंतोष दूर हो गया (kahani)
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मन की तल्लीनता ही है ‘चित्तवृत्ति ‘ निरोध की धुरी
आदर्श अर्द्धांगिनी (kahani)
चरैवेति -चरैवेति सिद्धाँत को अपनाते ये परिव्राजक पशु -पक्षी
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सफाई की संभावना कैसे (kahani)
प्राण विद्या पर आधारित एक निरापद चिकित्सा पद्धति -रेकी
महा का मूर्द्धन्य (kahani)
सा प्रथमा संस्कृति विश्ववारा
अत्यंत महत्त्वपूर्ण प्रगति (kahani)
पर्यावरण संरक्षण की एक सुदीर्घ एवं अति प्राचीन परंपरा
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लड़कों का समाधान (kahani)
बचें चाय से , पिएँ प्रज्ञापेय
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बिनु सत्संग विवेक न होई
महानता के बीज (kahani)
न विधि , न संस्कार, यह कैसा परिवार
सैकड़ों गुनी वृद्धि (kahani)
विषाक्त होता जा रहा है हमारा खानपान
कर्म से ब्राह्मण बना (kahani)
मनोविकारों की चिकित्सा हेतु विशिष्ट उपचार
इतिहास में प्रसिद् (kahani)
वास्तु विज्ञान पर लेखमाला घर में रसोईकक्ष की स्थिति क्या हो।
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सेवाधर्म के मार्ग में बाधाएँ और भटकाव
परमपूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी फिजा बदल देती है अवतार की आँधी
युगगीता-9 स्थितप्रज्ञ-प्रज्ञावान की सही पहचान
हमारी अतृप्ति और असंतोष का कारण
गूँगे का गुड़ बन गई , यह अनुभूति
अपनों से अपनी बाततप−साधना व अपनत्व की संवेदना ही बीज है इस विशाल संगठन का
इक्कीसवीं सदी -आगमन (kavita)
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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