परोक्ष की सुनियोजित विधि - व्यवस्था का द्योतक है - संयोग

January 2000

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जीवन असंख्य घटनाओं की एक अंतहीन शृंखला है। इसमें यदा-कदा ऐसे घटनाक्रम भी आते हैं, जो प्रत्यक्ष रूप से आपस में कोई संबंध न रखते हुए भी परस्पर अद्भुत समानता रखते हैं। इन्हें हम संयोग नाम देकर आश्चर्य व्यक्त करते हैं। इनमें किसी तरह की सारगर्भित कार्य कारण की शृंखला या युक्ति बद्धता स्पष्ट न होने के कारण इन्हें चमत्कार तक मान बैठते हैं, किंतु वास्तव में इस सृष्टि में संयोग या चमत्कार नाम की कोई चीज नहीं है, भले ही हम अपनी स्थूल दृष्टि से इसकी अगम गहराइयों में न झाँक सके।

ये संयोग सदियों से मनुष्य के लिए रहस्य एवं रोमाँच के विषय रहे हैं। कई शताब्दियों तक इन्हें मानव के, सृष्टि एवं प्रकृति के साथ निगूढ़ संबंधों के प्रतीक के रूप में माना जाता रहा, किंतु 17 वीं सदी में न्यूटन, कैप्लर व गैलीलियो की वैज्ञानिक खोजों के साथ मनुष्य एवं प्रकृति संबंधी जो याँत्रिक दृष्टिकोण पनपा, उसमें खंड खंड विश्लेषण को प्रधानता दी गई, परंतु यह प्रक्रिया अपने स्थूल दृष्टिकोण के कारण संयोगों में छिपे सत्य को समझने में सर्वथा असमर्थ थी। 20 वीं सदी में अनिश्चितता से सिद्धान्त के साथ संयोगों में निहित गूढ़ अर्थपूर्णता की धारणा को एक और धक्का लगा, जिसने आश्चर्यजनक संयोगों को भी गणितीय सूत्रों में बाँधकर उन्हें स्थूल रूप देने का प्रयास किया।

20 वीं सदी में ही प्रख्यात मनोवैज्ञानिक कार्लजुँग एवं भौतिकशास्त्री वुल्फ गौगे ने संयोगों में विद्यमान अर्थपूर्ण गुणवत्ता एवं इनके गूढ़ मनोवैज्ञानिक सत्य पर प्रकाश डाला। कार्लजुँग ने इसे सिंक्रोनिसिटी अर्थात् समकालिकता या समक्रमिकता का नाम दिया। उनके अनुसार समकालिक घटनाएँ कुछ अर्थपूर्ण होती है और कुछ नहीं भी। इनमें अर्थपूर्ण संयोग न केवल अचेतन मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया से जुड़े होते हैं, बल्कि ब्रह्माँडीय मन से भी जुड़े होते हैं अर्थात् संयोग रूप से प्रकट होने वाली दृश्यमान घटनाओं के पीछे गूढ़ मनोवैज्ञानिक सत्य सक्रिय होते हैं। स्वयं कार्लजुँग ऐसी अनेक घटनाओं के साक्षी रहा है। एक बार जुग किसी रोगी को मिस्र के सक्रैव कीट के प्रतीक का अर्थ समझा रहे थे। यह कीट उस रोगी के स्वप्न में बराबर आता रहता था। ठीक उसी समय उसी तरह का एक चमकीला कीट उड़ते हुए उस कमरे में आ गया था।

ऐसा ही संयोग अभिनेता एंथोनी हापकिंस के साथ घटा - जब वे वर्ष 1973 में अपनी फिल्म “द गर्ल फ्राँम पेट्रोबका” के संदर्भ में विएना जा रहे थे। यह फिल्म जॉर्ज फेफर की पुस्तक पर आधारित थी। दुर्भाग्य से पार्श्व टिप्पणियों से युक्त मूल प्रति दो वर्ष पूर्व इंग्लैण्ड में चोरी हो गई थी, अतः फिल्म के उपयुक्त महत्त्वपूर्ण टिप्पणियाँ को पुनः तैयार किया जाता था। फिल्म साइन करने के बाद हापकिंस पुस्तक की एक प्रति के लिए लंदन रवाना हो गए, किंतु कहीं भी पुस्तक उपलब्ध न हो सकी, अतः निराश होकर हापकिंस अपने घर की ओर चल पड़े। तभी अचानक अपनी सीट के किनारे उन्हें एक खुला पार्सल दिखा जिसमें वही मूल प्रति थी जो दो वर्ष पूर्व चोरी हो गई थी। इस संयोग को हापकिंस ने अचेतन मन द्वारा वातावरण पर प्रभाव की परिणति माना।

लिविंग विद द किमालयन मार्स्टस में स्वामी राम से संबंधित एक रोचक संस्मरण का प्रस्तुतीकरण है। वर्ष 1955 में एक जर्मन मनोचिकित्सक को स्वप्न में एक भारतीय योगी के दर्शन हुए, जो उन्हें भारत बुला रहे थे। एक सप्ताह के अंदर ही मनोचिकित्सक उस योगी की खोज में घर से निकल पड़े । फ्रेककर्ट हवाई अड्डे पर टिकट छूट गया। जब नींद खुली तो उन्हें स्वामी राम के दर्शन हुए जो जर्मनी में पाश्चात्य मनोविज्ञान के अध्ययन हेतु आए हुए थे। दोनों के बीच परिचय होने के बाद डॉक्टर ने स्वामी राम से अपने स्वप्न की चर्चा की। इसी के साथ उसने स्वप्न में देखे गए उस योगी का चित्र भी बनाकर दिखाया जिसे देखते ही स्वामी राम तत्काल पहचान गए। यह चित्र उनके गुरु का था। इस तरह यह संयोगपूर्ण मिलन दोनों के लिए ही फलदायी रहा। उक्त जर्मन डॉक्टर ने स्वामी राम को पश्चिमी मनोविज्ञान संबंधी अध्ययन हेतु कई विश्वविद्यालय में घुमाया और स्वामी राम ने उसे अपने गुरु से भी मिलवाया।

अगस्त 1997 में काफी चर्चित हुई वेल्स की राजकुमारी डायना की कार-दुर्घटना भी काफी संयोगों से जुड़ी हुई है। मानो, घटना का ताना बाना सूक्ष्मजगत् में काफी पहले से ही बुना जा चुका हो। दुर्घटना के समय ही एक फिल्म डायना एण्डी निकलने ही वाली थी, उसमें उसका एक सनकी चाहने वाला पापराजियो से मिलकर डायना के पीछे पड़ा हुआ था। वास्तव में डायना की मृत्यु पापराजियो से भागते हुए ही हुई थी। इस तरह डायना पर लिखी गई पुस्तक रायल वर्ल्ड प्रकाशित होने पर रोक लगा दी गई थी क्योंकि इस पुस्तक में एक मुस्लिम से शादी के विरोध में दक्षिणपंथी उग्रवादी डायना की हत्या की योजना बना रहे थे। कार दुर्घटना में मृत्यु के समय डायना के साथ उसका अंतरंग मित्र डोडी अल्फेयड था, जो कि मिश्र के अरबपति मुहम्मद अल्फेयड नामक एक मुस्लिम का बेटा था।

चर्चित पुस्तक नोट्स फ्रॉम स्मॉल आइसलैंड के लेखक विल्ली ब्रायसन 1980 में स्वतंत्र लेखन कर रहे थे। कोइंसिडेंस विषय पर पर्याप्त वैज्ञानिक एवं तथ्यपूर्ण सामग्री एकत्रित होने के बावजूद लेख के लिए उपयुक्त उदाहरणों का अभाव था। उन्हें इस लेख को एक दिन के अंदर ही द टाइम पत्रिका के पास भिजवाना था। अतः ब्रायसन के मस्तिष्क में लेख के लिए उदाहरण सामग्री की खोज का विचार हावी रहा। उसी दिन जब ब्रायसन द टाइम के ऑफिस में किसी काम से जा रहे थे, तो फिफ्ट में उनके सहयोगी के हाथ में रिमार्केबल टू कोइसिडेंस पुस्तक दिखी जो समीक्षा के लिए जा रही थी। बस, ब्रायसन को अपने लेख के लिए आवश्यक सामग्री का स्त्रोत संयोगवश मिल गया था।

संयोगों का अंकों से भी गहरा रिश्ता रहा है। कीरो की अंक विज्ञान की पुस्तक में इस संदर्भ में रोक उदाहरण मिलता है। प्रख्यात ब्रिटिश कलाकार सर अल्मा टडेमा के अनुसार उसका महत्वपूर्ण अंक 17 था। 17 वर्ष की आयु में उसका होने वाली पत्नी से प्रथम मिलन हुआ। पहले घर का अंक भी 17 था। 17 अगस्त को ही उसने नवनिर्माण का काम शुरू हुआ। 17 नवंबर को उन्होंने इसमें प्रवेश किया। टडेमा की दूसरी शादी 1871 में हुई थी। दूसरा घर भी 17 अंक का था। सर टडेमा का जन्म आठ जनवरी को हुआ था, जो कि संयुक्त अंक 17 के ही योगफल वाला एकल अंक है। ऐसे ही सम्राट् एडवर्ड-सप्तम का जन्म 9 नवंबर को हुआ था। यह माह मंगल का दूसरा घर भी है, जिसका अंक 9 है। एडवर्ड की शादी 1863 को हुई थी, जिसका योग 9 बनता है। 27 जून को उनका राज्याभिषेक होना था, जिसका योग भी 9 है परंतु यह वास्तव में 9 अगस्त को हुआ।

दो व्यक्तियों के बीच अंकों के संयोग का सबसे रोचक उदाहरण फ्राँस के सम्राट् सेंटलुइस और लुइस - 16 वें का है, जिनके जीवन की अद्भुत साम्यता भरी घटनाओं से बीच 539 अंक का अंतर था , मानो इतिहास स्वयं को दुहरा रहा हो। संटलुइस का जन्म 23 अप्रैल 1215 को हुआ था और लुइस -16 वें का जन्म 23 अगस्त 1754 (1215 + 539) को हुआ था। सेंटलुइस की बहन इजावेल का जन्म 1225 का हुआ था जबकि लुइस 16 वें की बहन लिजाबेथ का जन्म 1764 (1225+ 539) का हुआ था। सेंटलुइस के पिता की मृत्यु 1226 को हुई थी, लुइस 16 वें के पिता मृत्यु 1765 (1226+ 539) सेंटलुईस की शादी 1231 में हुई थी, जबकि लुइस -16 वें की शादी 1770 (1231+ 539) को हुई थी।

सेंटलुइस ने हेनरी -3 के साथ शाँति समझौता 1243 में किया था, जबकि लुइस 16 ने जॉर्ज तृतीय के साथ शाँति समझौता 1782 (1243+ 539)में किया था। एक पूर्वी राजकुमार ने ईसाई धर्म अपनाने के उद्देश्य के लिए अपना दूत लुइस 16 के पास 1788 (1241+ 539) को भेजा। सेंटलुइस 16 को 1789 (1250+ 539) में सत्ताच्युत किया गया। सेंटलुइस की माँ रानी ब्लाँचे का निधन 1253 में और लुइस 16 की माँ हृइट लिली की मृत्यु 1792 (1253+ 539) में हुई। सेंटलुइस द्वारा जेकाँबिन बनने की इच्छा 1254 में वलुइस 16 द्वारा जेकाँबिन के हाथों जीवन का अंत 1793 (1254+ 539) में हुआ। इन दोनों का ही जन्म क्रमशः 23 अप्रैल व 23 अगस्त को हुआ था, जिनका एकल योगाँक 5 बनता है और अंक 5 फ्राँस की नियति से जुड़ा हुआ महत्वपूर्ण अंक रहा है।

द सेलेस्टाइनन प्रोफेसी के लेखक जेम्स टेडफील्ड संयोगों के संदर्भ में अनिश्चितता के सिद्धान्त को नकारते हुए कहते हैं कि जीवन का एक दूसरा पक्ष भी है, जिसमें दृश्य के पीछे अदृश्य शक्तियाँ सक्रिय हैं। आज जीवन की अर्थपूर्ण खोज में चेतना के नए-नए रहस्य खुल रहे हैं। अधिकाधिक लोग संयोगों में निहित गूढ़ रहस्य खुल रहे है। अधिकाधिक लोग संयोगों में निहित गूढ़ सत्य को जीवन की महत्वपूर्ण शक्ति मान रहे है। सृजान वैनफेल नामक महिला अपने जीवन को संयोगों से इतना भरा हुआ मानती है कि मानो वह एक पूर्व लिखित नाटक की पात्र भर हो। उसकी माँ का नाम शिर्ली डेविस है। दोनों के चार चार बच्चे हैं, जिनमें दो लड़के व दो लड़कियाँ हैं। शिर्ली दो बार तलाक के बाद तीसरी शादी कर चुकी है। सुजान के भी दो तलाक हो चुके हैं और उसे लगता है कि समक्रमिकता के अनुरूप उसकी भी तीसरी शादी भाग्य में है। दोनों के जीवन में 10 अंक का विशेष महत्व है। शादी की तारीख भी क्रमशः 16 मार्च 1613 एवं 22 जून 2216 हुई, जिस जोड़कर 10 अंक बनता है। शादी से पूर्व वह 1027 नंबर घर में रहती थी। इसी तरह बैंक व अन्य खात अपन जोड़कर 10 अंक पर जा टिकते हैं। इस सबको देखते हुए सुजान के अनुसार जीवन की घटनाओं में एक स्वाभाविक लयबद्धता है। जिसका निर्देशन कहीं परदे के पीछे चल रहा है।

एक्स्ट्रार्डिनरी कोइंसिडेंस में मनीषी एलीन ग्रीनवुड ने दो ऐसे व्यक्तियों का उदाहरण प्रस्तुत किया है, जो दोनों पेशे से कसाई थे। एक का नाम फ्रेडरिक हेनरी बटलर था । दोनों का जन्म 1 अप्रैल 1930 को हुआ था व दोनों की ही मृत्यु पिस्तौल की गोली लगने पर हुई। इन दोनों में परस्पर किसी तरह का कोई संबंध नहीं था। ये दोनों ही कार के किनारे पड़े हुए मिले थे। इस संयोग के पात्रों का नाम सुनते ही एलीन की स्मृति कौंध उठती है और वे एक अन्य संयोग को इससे जुड़ा देखते हैं। 1 अप्रैल 1930 को ही उनकी पड़ोसिन बटलर का जन्म हुआ था। उसका दूसरा पति फ्रेडरिक था व भाई हेनरी उसका एकमात्र पुत्र डेविड था। उसका पहला पति कार के किनारे गोली से मरा पाया गया।

संयोगों को अतींद्रिय क्षमता एवं पराभौतिकी से संबंधित बताने का साहसिक प्रयास विख्यात शोध विज्ञानी आर्थर कोस्लर द्वारा किया गया है। उसके अनुसार कोई आधार भूत सिद्धाँत इन तीनों को ही जोड़ता है, जिसको समझाने का प्रयास उन्होंने अपने ग्रंथ द रुटस ऑफ काइंसिडेंस में किया है, जिसे वे अंधेरे कमरे में एक कदम से अधिक नहीं मानते क्योंकि संयोगों में निहित सत्य चेतना की गहराइयों में जन्म लेता है। यहाँ तक तर्कबुद्धि की पहुँच नहीं है। मात्र अंतर्दृष्टि संपन्न व्यक्ति ही इस सत्य की झलक पा सकते हैं। अपने व्यावहारिक सुझाव देते हुए व कहते हैं कि हमारी क्रियाएँ तर्क की बजाय भावनाओं पर आधारित होनी चाहिए। यदि अचानक कुछ करने की इच्छा हो तो उसे अवश्य करो, हाँ ध्यान रहे कि वह अमर्यादित एवं अवाँछनीय न हो। इस तरह शायद जीवन की गहराइयों में निहित कोई गूढ़ सत्य तरंगित हो उठे।

“द कोइंसिडेंस “ फाइल की लेखिका केन एंडरसन के अनुसार हम स्वजागरुकता द्वारा जीवन में घटित होने वाले संयोगों के संदर्भ में विज्ञ हो सकते हैं। इसके लिए वह नियमित डायरी लेखन का सुझाव देती है।यह कार्य समय साध्य एवं श्रमसाध्य अवश्य है, किंतु इस प्रक्रिया द्वारा व्यवस्थित रूप से संचित अनुभव जीवन के प्रति एक गहन अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। संयोगों के आध्यात्मिक पक्ष पर प्रकाश डालते हुए । “वर्ल्ड पीस प्रेयर सोसाइटी” के अध्यक्ष “मसामी साओनजी” अंतर्दृष्टि के विकास पर बल देते हैं जो कि बिना किसी तर्क का प्रयोग किए सीधे सत्य का बोध कराने में सक्षम होती है। इसके विकास के संदर्भ में सुझाव देते हुए उनका कहना है कि मन को हमेशा हमें अपने सत्यस्वरूप (आत्मा) में केंद्रित करने पर जब चित्त शुद्ध होने लगता है तो विचार सीधे अस्तित्व की गहराइयों से उभरते हैं व जीवन अर्थपूर्ण संयोगों से भरने लगता है, मानों कोई अदृश्य शक्ति नीरस एवं बोझिल जीवन में नूतन रंग भर रही हो। तब संयोगपूर्ण घटनाएँ कोई आश्चर्यजनक चमत्कार नहीं लगतीं, बल्कि सूक्ष्म व्यवस्था की सुनियोजित कार्य-कारण शृंखला का अभिन्न अंग प्रतीत होती हैं।


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