सफाई की संभावना कैसे (kahani)

January 2000

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

शमीन यहूदी साहूकार था, साथ ही धर्मात्मा भी। ईसा को उसने अपने यहाँ भोजन पर बुलाया और वे गए भी। उसी गाँव में एक वेश्या भी रहती थी। नाम था मेरी। मेरी भी ईसा के चरणों में पहुँची और आतिथ्य स्वीकार करने का आग्रह करने लगी।ईसा ने उसे स्वीकार कर लिया और दूसरे दिन उसके यहाँ गए भी ।

यह प्रसंग शिष्यमंडली में चर्चा का विषय बन गया। कानाफूसी होने लगी। वेश्या के यहाँ संत-भगवान् का जाना अनुचित है। बात ईसा के कानों तक पहुँची , उन्होंने शिष्यों को बुलाया और कहा- जो प्रायश्चित करता है , सो पवित्र है। पापी तो वह है, जो दृष्टता पर अड़ा रहे। मन बदलने के बाद कोई वैसा नहीं रहता, जैसा पहले था।” वेश्या ने व्यवहार बदला और सज्जनों की तरह रहने लगी। कुछ दिन बाद ईसा ने मंडली को बुलाया और मेरी का प्रसंग बताते हुए कहा- “यदि बुहारी गंदगी तक न पहुँचे , तो सफाई की संभावना कैसे बने?”


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles