विश्वास करें, न करें भूत-प्रेत होते तो हैं ।

January 2000

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सुनकर हम हैरान और चकित भले ही हो जाएँ , पर भूत तो होते हैं। इस शरीर के मृत हो जाने, नष्ट को जाने के बावजूद भी अस्तित्व समाप्त नहीं होता। चेतना किसी-न-किसी रूप में अपना परिचय कराती रहती है। लाइट पत्रिका के संपादक जॉर्ज लेघम ने -मैं परलावादी क्यों हूँ? शीर्षक से एक धारावाहिक लेखमाला प्रकाशित की थी। अपनी इस लेखमाला में एक स्थान पर उन्होंने लिखा था कि उनका पुत्र जॉनी महायुद्ध में मारा गया था। तोप के गोले से उसके टुकड़े टुकड़े उड़ अंतराल तक अपने पिता से संपर्क बनाए रखा। इस समय का उल्लेख करते हुए लेघम के शब्द हैं - “मेरा पुत्र जॉनी स्वर्गीय माना जाता है, परंतु मेरे लिए वह अभी भी उसी प्रकार जीवित है, जैसे वह किसी अन्य शहर में रहता हो और बराबर अपने संदेश देता रहता हो।”

सन् 1868 ई. में लंदन में एक विशेष समारोह के अवसर पर डी.डी.होम नामक व्यक्ति अचानक ही कमरे के फर्श से उठकर छत पर जा लगे। उसके बाद वे उड़ते हुए तीसरी मंजिल की खिड़की से बाहर निकल गए और बीच हवा में उड़ते हुए दूसरी खिड़की से अंदर आ गए। उनके इस अनोखे कारनामे को देखकर वहाँ उपस्थित सभी विशिष्ट लोग आश्चर्यचकित रह गए थे। वैज्ञानिकों के लिए यह अत्यंत अविश्वसनीय एवं अलौकिक चमत्कार था। जिन वैज्ञानिकों न इस विलक्षण दृश्य को देखा था, उनमें से एक थे के टी. किंग और दूसरे थे विलियम क्रुक्स । इन दोनों महानुभावों के घर में प्रेतात्माओं ने आविर्भूत होकर जो उत्पात मचाया, उससे विवश होकर उन्हें भी एक स्वर से मरने के बाद भी जीवन के अस्तित्व को स्वीकारना पड़ा।

कुछ ऐसी ही घटना 22 जून 1893 ई. को घटी । वाइस एडमिरल सर जॉर्ज टाइरन की पत्नी लेडी टाइरन न अपने सगे-संबंधियों एवं मित्रों को चाय पर बुलाया। सभी मेहमान खाने-पीने में मग्न थे कि अकस्मात् ऊपरी मंजिल की सीढ़ियों परखटपट की आवाज आई और कुछ सेकेंड बाद लेडी टाइरन ने देखा कि उनके पति सर जॉर्ज नेवी की यूनीफार्म पहने मुस्कराते हुए नीचे आ रहे हैं। लेडी साहिबा की तो चीखें निकल गई और मेहमान भी विस्मय-विमूढ़ होकर रह गए। क्योंकि उस समय सर जार्ज लंदन से मीलों दूर टिरोपोली के समुद्र तटों के पास अपने समुद्री जहाज विक्टोरिया में थे। सर जॉर्ज अपने घर में कुछ सैंकड़ों तक नजर आए और फिर लोप हो गए। कुछ दिन पश्चात् पता चला कि उसी समय विक्टोरिया दुर्घटनाग्रस्त हुआ था और सर जॉर्ज दूसरे संसार में जाने से पूर्व अपनी पत्नी से मिलने के लिए आए थे।

वर्ष 1964 ई. में इंग्लैंड की संसेक्स नामक जगह में कई ड्राइवरों ने रात के समय एक भूरे बालों वाली लड़की को देखा । उस लड़की को देखकर बहुत से ड्राइवर भयभीत हो गए, क्योंकि लड़की कुछ क्षणों तक नजर आने के बाद गायब हो जाती थी। यह क्रम वर्षों चलता रहा। 1962 तक बहुत सारे लोगों ने उसका पीछा करना चाहा, उसे पकड़ना चाहा, पर हर बार वे असफल हो जाते। बाद में काफी छान बीन करने पर पता चला कि काफी समय पूर्व एक दुर्घटना में एक भूरे बालों वाली लड़की मर गई थी। यह भूत उसी लड़की का था। लड़की दुर्घटना में एक भूरे बालों वाली लड़की मर गई थी, यह भूत उसी लड़की का था। लड़की दुर्घटना के समय पीले रंग की बरसाती पहने हुए थी। यह भूत भी उसकी अंदाज में नजर आता था।

लगभग इसी तरह नोटिंधम मध्य इंग्लैण्ड में रहने वाले एक परिवार के कई सदस्यों ने 1970 ई. में अपने घर में यूनीफार्म पहने हुए एक व्यक्ति को देखा । यह व्यक्ति अचानक प्रकट होता और अचानक ही गायब हो जाता।परिवार के सभी सदस्य उसे देखकर भयभीत हो जाते थे। कभी कभार वह नजर न आता, तो विचित्र -विचित्र आवाजें सुनाई देने लगती। उन लोगों ने परामनोविज्ञान के एक विशेषज्ञ से संपर्क कायम किया। उसने लगातार के अन्वेषण -अनुसंधान के बाद बताया कि नजर आने वाला व्यक्ति एक भूत है और यह भूत उस व्यक्ति का है, जो बहुत पहले सीढ़ियों से गिरकर अपंग हो गया था और बाद में उसने आत्महत्या कर ली थी।

सुविख्यात अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहमलिंकन के बारे में भी अनेकों रहस्यपूर्ण घटनाएँ सौ वर्षों से भी अधिक समय बीत जाने के बाद भी प्रचलित हैं। लिंकन को वाशिंगटन के एक थियेटर में अप्रैल 1865 में गोली मार दी गई थी। लिंकन का ताबूत एक विशेष गाड़ी में रखकर दफन करने के लिए ले जाया गया। यह गाड़ी हर स्टेशन पर आठ मिनट के लिए रुकती थी और लोग पंक्तिबद्ध हो अपने प्रिय नेता का अंतिम दर्शन करते थे। कुछ दिनों के बाद एक विचित्र घटना घटित हुई। रात को एक गाड़ी विभिन्न स्टेशनों से गुजरती और हर स्टेशन पर आठ मिनट के लिए रुक जाया करती थी।

इसके बाद यह भी देखा गया कि व्हाइट हाउस के उस कमरे में साए, जो कभी लिंकन का विभिन्न कमरों में और हॉल में स्वयं चलते फिरते देखा है। एक अन्य अमेरिकी राष्ट्रपति आइजन हावर का कहना था कि उन्होंने कईबार लिंकन की मौजूदगी का अहसास किया है। इसी प्रकार व्हाइट हाउस की एक स्टाफ ऑफिसर मेरी एवन को एक रोज महसूस हुआ कि दूसरी मंजिल पर स्थित शयन कक्ष में कोई व्यक्ति मौजूद हैं वह वहाँ पहुँची तो देखा कि एक व्यक्ति बिस्तर पर बैठकर जूते उतार रहा हैं उस व्यक्ति के चेहरे पर नजर पड़ते ही मेरी पर जड़ता छा गई। वह व्यक्ति अब्राहम लिंकन थे।

हॉलैंड की महारानी जब अमेरिका आई तो विशिष्ट अतिथि होने के नाते उन्हें व्हाइट हाउस में ठहराया गया। बहुत रात गए उनके कमरे के दरवाजे पर दस्तक हुई। सम्राज्ञी विल्हमिना ने दरवाजा खोला तो उन्होंने अपने सामने लिंकन को स्पष्ट खड़े हुए देखा। डरकर उन्होंने फौरन दरवाजा बंद कर लिया। और सवेरे अपने मेजबान राष्ट्रपति रुजवेल्ट का सारी घटना बताई। इस पर रुजवेल्ट ने बताया कि लिंकन के भूत के कारण ही श्रीमती रुजवेल्ट को अपना शयनकक्ष बदलना पड़ा, क्योंकि वहाँ पर लिंकन महाशय अक्सर आ पधारते थे।

इसी तरह की एक घटना और भी है। टेलीविजन के सुप्रसिद्ध धारावाहिक कोजेक ने अपने समय में दुनिया भर में काफी धूम मचाई है। लंबे कद और गंजे सिर के अभिनेता मि. टेलीसेवालास न अपने इस अभिनय से काफी ख्याति भी अर्जित की। उनकी जिंदगी में एक ऐसी घटना घटी जिसे याद करके उनके रोंगटे आज भी खड़े हो जाते। हुआ यूँ कि वह रात को तीन बजे न्यूयार्क आ रहे थे। हाई-वे पर उन्हें अनुमान हुआ कि उनकी कार में ईंधन खत्म हो चुका है। निकट ही स्थित कॉफी हाउस के पास उन्होंने गाड़ी पार्क की। वह अंदर गए और पहले तो गरम-गरम कॉफी पीकर सरदी के प्रभाव को कम करने का प्रयत्न किया, फिर निकटवर्ती गैस स्टेशन का पता मालूम करके पैदल ही उस ओर चल पड़े। अभी वह थोड़ी ही दूर गए थे कि उनके निकट काली कैडलिक कार आकर रुकी। कार में सवार व्यक्ति ने उन्हें लिफ्ट की पेशकश की, जिसे मि. टेलीसेवालास ने स्वीकार कर लिया। कार में बैठने के बाद उन्हें अंदाजा हुआ कि उनका बटुआ कहीं गिर गया है, जिसमें रुपये थे।

इस कहानी का आशय समझाते हुए ऋषि ने कहा - परलोक ही वह द्वीप है, जहाँ हर किसी को जाना पड़ता है। वहाँ सुविधा उत्पन्न करने वाला परमार्थ कमाया जाता रहे, तो जीवन के उपराँत भी सुख शांति की कोई कमी न रहे।

उनकी परेशानी भाँपकर कार वाले ने उनको एक डॉलर दिया, जिसे उन्होंने इस शर्त के साथ लिया कि वह पहली फुरसत में उसे वापस कर देंगे। फिर उन्होंने उस आदमी से एक कागज पर उसके घर का पता और नाम लिखवा लिया। उस आदमी का नाम हैरी एंगास था। अगले दिन मि. टेली सेवालास ने उस आदमी के घर फोन किया। एक महिला ने फोन रिसीव किया और बताया कि हैरी एंगास उसके पति का नाम है जिनका तीन वर्ष पूर्व देहाँत हो चुका है। यह सुनकर मि. टेलीसेवालास विस्मय में पड़ गए। वे सोचने लगे, यदि यह व्यक्ति मर चुका है तो फिर वह कौन था, जिसने पिछली रात उनको कागज पर अपना नाम व पता लिखकर दिया था। वह उस महिला से मिलने स्वयं गए औरउस व्यक्ति की लिखावट उसे दिखाई। महिला ने स्वीकार किया कि यह लिखावट उसके स्वर्गीय पति की है फिर उन्होंने उस महिला से उस व्यक्ति के लिबास के बारे में बताया, तो वह बोली-हाँ इन्हीं कपड़ों में उन्हें दफन किया गया था। हैरत में पड़ते हुए उन्होंने कहा-मैंने अपनी जिंदगी में बड़े बड़े केस निपटाए, पर यह केस शायद कभी न सुलझेगा।

ब्रिटिश सेना के एक अधिकारी जेराल्ड पोलर ने अपने अनुभव के आधार पर यह आत्मस्वीकृति दी कि दूसरे महायुद्ध के दौरान एक भूत ने उनका जीवन बचाया। उन दिनों वह बर्मा के युद्ध क्षेत्रों में एक मोरचे पर थे। मोरचे पर जापानी तोपखाना बुरी तरह गोलाबारी कर रहा था। पोलर ने चाहा कि कुछ पल विश्राम कर ले। सहसा उसे महसूस हुआ कि उसके निकट कोई मौजूद हैं उसने गरदन घुमाकर देखा तो एक सिख सिपाही खड़ा था। उसने पोलर से कहा कि कैप्टन उससे मिलना चाहिये हैं वह तत्काल सिग्नल ऑफिस पहुँचा। वहाँ पहुंचकर उसने देखा कि उसे किसी ने नहीं बुलाया था। वह विस्मय की अवस्था में अपने मोरचे पर वापस पहुँचा । वहाँ पहुँचकर देखा कि गोलों के फटने से हर चीज तहस-नहस हो चुकी हैं पोलर ने बाद में कहा-विस्मयकारी बात यह थी कि हमारे हेडक्वार्टर में कोई सिख सिपाही नहीं था।

एक अन्य घटना 2 मार्च 1948 ई. को घटी। इसमें लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे पर एक डी.सी.थ्री वायुयान तबाह हो गया। इस दुर्घटना में 22 यात्री मारे गए, जिनमें अधिकतर व्यापारी लोग थे। इसके पश्चात् कई बार लोगों ने वहाँ एक आदमी का देखा , जो रनवे पर खड़ा नोट गिन रहा होता। जब वह उसके पास जाते तो वह एकदम लोप हो जाता। बाद में खोजबीन करने पर ज्ञात हुआ कि यह एक व्यापारी का भूत था , जो उस दुर्घटना में मारा गया था।

इसी तरह की एक दूसरी घटना 29 दिसम्बर 1972 ई. को घटित हुई। इसमें दो अमेरिकी विमान चालक कैपटेन रॉबर्ट लाफ्ट और सेकेंड ऑफिसर रीपू ईर्स्टन एयरलाइन के एक वायुयान में फ्लोरेडा जा रहे थे कि रास्ते में उनका विमान धरती पर गिरकर तबाह हो गया। दोनों यान चालक मर गए, लेकिन उनके भूत काफी दिनों तक लोगों को नजर आते रहे। पहले ईर्स्टन एयरलाइन के एक वाइस प्रेसीडेन्ट ने कैप्टेन लाफ्ट के भूत को देखा। वह विमान में सेन फ्रांसिस्को जा रहा था कि उसके पास से एक यान चालक गुजरा। उसने यान चालक को पास बुलाया तो उसके होश उड़ गए। वह कैप्टेन लाफ्ट का भूत था। कैप्टन कुछ क्षणों तक उसके पास खड़ा रहा, फिर अकस्मात् विलीन हो गए।

इसके पश्चात् फरवरी, 1972 में इसी विमान कंपनी का एक विमान मैक्सिको जा रहा था। एक एयरहोसटेस ने विमान की एक सीट पर डाँन रीपू को बैठे हुए देखा। उसने यह बात अपने फ्लाइट इंजीनियर को बताई तो उसने कहा कि मैंने भी उसे कई बार देखा है। फिर उसने अपना एक संस्मरण भी सुनाया कि एक बार जब वह पहले एक विमान से मैक्सिको जा रहा था तो इस रीपू ने उसे सचेत किया कि विमान में आग लगने वाली है। उसकी यह बात सच साबित हुई। जब विमान मेक्सिको नगर के हवाई अड्डे से उड़ने लगा तभी उसके एक इंजन में आग लग गई, किंतु सौभाग्यवश उसे बुझा दिया गया। इसके पश्चात् भी ये दोनों यान चालक कई बार विमान कंपनी के कर्मचारियों को नजर आए।

अनुभव और प्रमाण सभी स्वीकारते हैं कि यह शरीर ही जीवन का पर्याय नहीं है। इसकी समाप्ति को अस्तित्व की समाप्ति नहीं कहा जा सकता। चेतना अपनी उपस्थिति शरीर के मरने-नष्ट होने के बाद भी बनाए रखती है। भूत प्रेतों की उपस्थिति यही जताती है। यह इस ओर भी स्पष्ट इंगित करती है कि देह का प्रयोजन तो चेतना का उन्नयन एवं उत्कर्ष हैं । इसे भूलने पर तो भूत-प्रेत बनकर ही भटकना पड़ता है।


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