महत्त्वाकाँक्षी जोशुआ लेवमेन की भावी रूपरेखा के संदर्भ से अनेकों योजनाएँ बनाकर विद्वान युकाची के पास ले गया और उनसे पूछा - वह उन्हें पूरा करने के लिए क्या तैयारी करे? युकाची ने वह सूची ध्यानपूर्वक देखी और मुसकराते हुए उसे वापस लौटा दिया। उन्होंने कहा- “बच्चे ! इन सब योजनाओं में पहली योजना बिना तुम्हारा बढ़-चढ़कर सोचना व्यर्थ है।” जोशुआ ने चकित होकर पूछा-”भला वह क्या योजना होनी चाहिए?” उन्होंने कहा -”अपने स्वभाव और चरित्र का निर्माण जिसके बिना कोई व्यक्ति न बड़ा बन सकता है और न बड़ा काम कर सकता है।”
थानेश्वर की रानी महादेवी राजश्री का विवाह राजा गृहवर्मा के साथ हुआ था। दस्युओं ने राजा की हत्या कर दी। रानी सती होने की तैयारी करने लगी। उनका भाई हर्ष आ पहुँचा और उसने इस निरर्थक आत्महत्या से रोककर समझाया कि शेष जीवन सत्प्रयोजनों में लगाया जाए। बहन का समझा दिया, फिर जिन लोगों ने गृहवर्मा को मारा था, उनको ढूंढ़ ढूंढ़ कर सफाया किया। बहन-भाई मिलकर बौद्ध धर्म का विस्तार करने लगे। दोनों राज्यों का धन इसी प्रयोजन में लगने लगा। राजा हर्ष ने धर्मसेवा के लिए जो जो काम किए, वे इतिहास में प्रसिद्ध हैं। बहन भी हर कार्य में उनके साथ रही।