जीना जिसे आ गया, वही है सच्चा कलाकार

January 1992

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मानव जीवन एक बहुमूल्य निधि है। यह हम सबका सौभाग्य है कि जो सुअवसर सृष्टि के किसी भी प्राणी को न मिला, वह हमें प्राप्त हुआ व हम मानव काया के रूप में जन्में। यह अनुपम अवसर कुत्साओं की कीचड़, कुण्ठाओं की दलदल में पड़े रह कर नारकीय यातनाएँ सहन करते हुए मौत के दिन किसी तरह गिनने के लिए नहीं मिला है,वरन् इसलिए है कि हम परमेश्वर की इस श्रेष्ठ संरचना, दुनिया के सौंदर्य का रसास्वादन करते हुए निज को धन्य बनाएँ और इस तरह जियें जिसमें पुष्प जैसी मृदुलता, चन्दन जैसी सुगन्ध और दीपक जैसी रोशनी भरी पड़ी हो।

जीवन को सही ढंग से जीना एक कला है, एक कौशल है। जिसे ठीक तरह जीना आ गया, वह इस धरती का सम्मानित कलाकार है। जो भी साधन-सामग्री उपलब्ध हैं, उनका उत्कृष्टतम उपयोग करते हुए जी सकना, यही तो कौशल की कसौटी है। साधनों की कमी व अवरोधों की चर्चा करके जो प्रस्तुत उपलब्धियों की महत्ता कम करता है व यह कहता है कि यदि मुझे अमुक साधन मिले होते तो मैं अमुक कर्तृत्व प्रस्तुत करता, उसे आत्म प्रवंचना में निरत एक असफल खिलाड़ी मानना चाहिए। जीवन कला जिसे आती है, वह कलाकार अपने पास के स्वल्प साधनों से ही महान अभिव्यंजना प्रस्तुत करते रहे हैं। जिसे जीना आ गया, उसे सब कुछ आ गया। वही सच्चा शिल्पी है, जीवन रूपी खेल का श्रेष्ठतम खिलाड़ी है, यह माना जाना चाहिए।


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