एक राजा ने दो मालियों को दो बगीचे दिये और कहा इन्हें फला-फूला बनाकर दिखायें ।
एक माली सनकी था । उसने बगीचे में रुचि लेना बंद कर दिया और राजा के नाम की माला जपने लगा । उनकी प्रतिमा की आरती भी करता और परिक्रमा भी लगाता ।
दूसरा पैशों की सिंघाई-गुड़ाई आदि में लगा रहता । उसका बगीचा सुन्दर बन गया और फला-फूला भी । उस पूजा परायण के सभी पौधे सूख, मुरझा कर नष्ट हो गये ।
राजा एक साल बाद आया बगीचे की स्थिति, भिन्न देखी और उनके विकास में प्रस्तुत अन्तर का कारण जाना ।
राजा ने भजनानंदी माली को बुरा कहा और नौकरी से निकाल दिया । जिसका बगीचा हरा-भरा था उसकी प्रशंसा कर दी और नियुक्ति स्थायी कर दी । पूजा से कार्य बड़ा है ।