एक बगीचे में दो कीड़े रहते उनके घर पास-पास ही थे । एक का नाम था गुबरीला । दूसरे का भौंरा ।
दोनों दिन भर अपने-अपने कामों में जुटे रहते । शाम को इकट्ठा होते । अपने-अपने अनुभव सुनाते ।
गुबरीला कहता । वहाँ हर पेड़ की जड़ में गोबर ही पड़ा मिलता है । जिस पेड़ के भी नीचे जाता हूँ उसी की जड़ में दुर्गन्ध ही सूँघने को मिलती
भौंरे ने अपना अनुभव सुनाया कि हर पेड़ के ऊपर फूल खिले हैं वे सभी सुन्दर भी है और सुगंधित भी । जिस भी पेड़ के पास जाता हूँ सुगंध में विभोर हो जाता हूँ ।
एक ही बगीचे में दो प्रकार की अनुभूतियाँ मिलने का कारण उन कीड़ों का दृष्टिकोण और कार्यक्षेत्र भर था ।