बन्दर नारियल लेकर उसे उछालता, एवं स्वयं उछलता है। किसी के सिर पर भी पटक सकता है पर उसके भीतर का स्वाद बेचारा कहाँ चख पाता है। सम्पत्ति पाकर ओछे मनुष्य भी यही करते हैं।