विराट की एक झाँकी

April 1991

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कहने को तो यह संसार आश्चर्यों से भरा पड़ा है, किन्तु यहाँ का सबसे बड़ा आश्चर्य स्वयं मनुष्य है। यह बात और है कि वह अपने को सामान्य मानता है, पर वास्तविकता यह है कि वह प्रकृति के रहस्यों से भी कई गुना अधिक विलक्षण है। जिस दिन वह अपने इस पक्ष को उद्घाटित कर लेगा, उस दिन उसके लिए कुछ भी जानना शेष नहीं रहेगा। फिर प्रकृति की हर रोमाँचकारी अद्भुत घटना उसके लिए सामान्य बन जायेगी। तब न इस सृष्टि में कुछ आश्चर्य रहेगा, न अचम्भा, जिसकी कि इन दिनों हम चर्चा करते हैं।

स्पेन में मैड्रिड के निकट एक शहर है-चट्टानों का शहर जो लगभग 500 एकड़ भूमि में फैला हुआ है। इसका नाम शहर अवश्य है, पर यहाँ है, सिर्फ चट्टान ही चट्टान। इस चट्टानी शहर का सबसे बड़ा आकर्षण और आश्चर्य का केन्द्र है इसका विशाल निहाईनुमा शैलखण्ड। इस प्रस्तर खण्ड का ऊपरी भाग निहाई की तरह काफी चौड़ा है और निचला भाग धीरे-धीरे पतला होते-होते एकदम नुकीला हो गया है। आश्चर्य की बात तो यह है कि यह ऊँची और विशाल चट्टान अपने नुकीले भाग की ओर से नाचते-लट्टू की तरह सीधी खड़ी है। अब तक वैज्ञानिक इसके संबंध में यह बताने में सर्वथा असमर्थ रहे है कि अपनी नोक पर टनों भारी वजन को संतुलित कर सैकड़ों वर्षों से प्राकृतिक आपदाओं को झेलते हुए स्वयं को इस तरह संतुलित कैसे बनाये हुए है?

इसी प्रकार उत्तरी अर्जेन्टीना की एण्डिन पहाड़ियों की तराई में वैली ऑफ मून नामक एक घाटी है। यहाँ एक दूसरे पर रखे बड़े-बड़े पत्थरों से कई ऐसे विशाल और ऊँचे स्तम्भ बन गये हैं, जिसे देख कर ऐसा लगता है कि किसी कुशल इंजीनियर ने बड़ी दक्षतापूर्वक एक के ऊपर एक चट्टान रख कर इन्हें निर्मित किया हो, पर सच्चाई यह है कि इन प्रस्तर स्तम्भों में रखी चट्टानें इतनी विशाल हैं कि आज के विकसित विज्ञान द्वारा भी इन्हें एक दूसरे के ऊपर रख कर इतना ऊँचा स्तम्भ बनाना संभव नहीं। फिर प्रकृति ने इसका निर्माण क्यों व कैसे किया ? यह सवाल आज भी अनुत्तरित है।

काला सागर के तट पर बुल्गारिया के प्रमुख बन्दरगाह वारना से करीब 12 मील दूर आठ सौ मीटर लम्बा और सौ मीटर चौड़ा ऐसा क्षेत्र है, जिसमें तीन सौ पत्थर के एक जैसे ऐसे स्तम्भ खड़े हैं, जो बिल्कुल वर्तुलाकार हैं। इनमें से कुछ टूट कर गिर गये हैं, पर अधिकाँश अब भी खड़े हैं। इनकी ऊँचाई 6-12 फुट तक है। सर्वथा मिट्टी वाली जमीन में इस प्रकार के पत्थर के स्तम्भ धरती फोड़ कर कैसे निकल आये-यह भूगोलवेत्ताओं और पुरातत्व विशेषज्ञों के लिए अब भी रहस्य का विषय बना हुआ है।

मध्य मोरक्को में डेड्स नदी एक बिल्कुल ही सँकरी घाटी से होकर बहती है। घाटी नदी के दोनों किनारों पर दो विस्तृत शैल खण्डों के कारण बन गई है। इन शैल खण्डों के मध्य एक लम्बी चट्टान इस प्रकार लगी हुई है, जैसे खराद की मशीन में खरादी जाने वाली लकड़ी फँसी होती है। बरसात में इस नदी का जल स्तर इस घाटी में इतना ऊँचा हो जाता है कि वह इस चट्टान को छूने लगता है और न सिर्फ छूता है, वरन् तीव्र जल-प्रवाह उसे मशीन में फँसी खराद की लकड़ी की तरह नचाने लगता है, जिससे वहाँ पानी खूब ऊँचाई तक उछलने लगता है। जिन दिनों यह दृश्य उपस्थित होता है, उन दिनों दर्शकों की भारी भीड़ उस मनोरम दृश्य को देखने के लिए वहाँ उपस्थित रहती है। अभी तक वैज्ञानिक इसका रहस्य नहीं जान पाए।


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