राजेस्टर नगर में डॉ. कैत्वी ने अपना एक अस्पताल बनवाया। जिसमें अधिकाँश कार्यकर्ता स्वयं सेवी स्तर के थे। पूरा काम करते और निर्वाह मात्र का वेतन लेते। उधर रोगियों को भी यह सुविधा थी कि स्वल्प मूल्य में अन्यत्र से कहीं अधिक प्रभावशाली चिकित्सा करा पाते। निवास जैसी सुविधाएँ भी उसमें थी। उनके जीवन काल में अस्पताल दूर-दूर तक प्रख्यात हो गया।
अब अस्पताल की चौथी पीढ़ी चल रही है। सन्तानों ने अन्य व्यवसाय ढूँढ़ने की अपेक्षा उसी प्रयोग में अपने को खपाया।
प्रगति दिन दूनी रात चौगुनी होती गई।
इन दिनों अस्पताल के संस्थापकों की चौथी पीढ़ी चल रही है। अस्पताल का अर्थ विस्तार इस बीच दस गुना हो गया है। प्रायः एक हजार डॉक्टर काम करते हैं। नित्य एक लाख रोगी प्रायः उससे लाभ उठाते हैं।