मंत्रोच्चारण (Kahani)

April 1991

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गायत्री को केवल एक मंत्र की दृष्टि से विचार करने पर उसमें दृष्ट और अदृष्ट, उच्च और नीच, मानव और देव को किसी रहस्यमय तन्तु से एकत्रित कर लेने की अद्भुत शक्ति जान पड़ती है।

इस मंत्र का एक गूढ़ रहस्य है। जिसका उल्लेख इसके प्रभाव का साक्षात्कार करने वाले महापुरुषों ने किया है। सृष्टि के निर्माण तथा संचालन की योजना को परमात्मा अपनी सेवा में रहने वाले देवदूतों तथा ऋषियों द्वारा कार्यान्वित कराते हैं। इन देवदूतों तथा ऋषियों का एक कार्य यह भी है कि दैवी आशीर्वाद प्राप्त करने के जो व्यक्ति पात्र होते हैं उनको वे आशीर्वाद देते हैं। जब इस प्रकार का पात्रता रखने वाला व्यक्ति गायत्री मंत्र के रहस्य और मंत्र पर मन तथा हृदय को एकाग्र करे उसका शुद्ध उच्चारण करते हैं, तब उसकी और दृश्यमान सूर्य के मध्य में स्थित महान सौर शक्ति के बीच एक सम्बन्ध स्थापित हो जाता है और उस सम्बन्ध तंतु द्वारा, वह मनुष्य चाहे जहाँ मंत्रोच्चारण कर रहा हो, तो भी उस पर तथा आसपास के वातावरण पर विराट आध्यात्मिक प्रभाव पड़ता है। यह प्रभाव ही वास्तव में आशीर्वाद है। जब अनेक सत्पात्र व्यक्ति अपने मन और हृदय को एकाग्र करके इस का मंत्रोच्चारण करलें तो उसका प्रभाव निस्सन्देह अद्भुत ही होता है।

-एनीवीसेन्ट


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