साधना अविस्मरणीय (Kahani)

April 1991

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

पं. विष्णु पुलुस्कर किशोरावस्था में ही पटाखे की चिंगारी आँख में लगने के कारण दोनों आँखों से अंधे हो गये। फिर भी उनने निराशा नहीं अपनाई। पढ़ना बंद होने पर वे संगीत के अभ्यास में लगे। वह कार्य बिना आँखों की सहायता के भी हो सकता था।

लगन ने उन्हें संगीत में सफलता के उच्च शिखर तक पहुँचाया। बारह-बारह घन्टे तक अभ्यास ने उन्हें पारंगत बना दिया। उदयपुर राज्य में वे दरबारी गायक नियुक्त हुए। इसके उपरान्त वे काश्मीर राजा के भी राज गायक रहे।

विष्णु दिगम्बर ने नौकरी छोड़ दी और वे जन जीवन में भक्ति भावना का समावेश करने के लिए एक कीर्तन मण्डली बनाकर पद यात्रा पर चल पड़े। गाँव-गाँव उन्होंने संगीत के माध्यम से आस्तिकता की भावना उभारी।

साथ ही उन्होंने संगीत विद्यालयों की स्थापना का आन्दोलन चलाया। पुरातन पद्धति में अनेक सुधार किये। उनके प्रयत्न से देश के प्रमुख संगीतज्ञों का एक सम्मेलन जालंधर में हुआ। उसमें कई महत्वपूर्ण निर्णय हुए। उनके अखिल भारतीय संगीत परिषद की स्थापना हुई। जिसकी शाखाएँ देश भर में बनीं। उनने संगीत पर 50 पुस्तकें लिखी। एक संगीत मासिक पत्र भी 16 वर्षों तक चलाया। संगीत क्षेत्र में उनकी साधना अविस्मरणीय रहेगी।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles






Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118