अमेरिकी धनपति फोर्ड ने एक दिन अपने सेक्रेटरी से पूछा। मित्र यदि हम तुम दोनों मरें तो तुम अगले जन्म में मेरे सेक्रेटरी बनना पसन्द करोगे अथवा धनपति फोर्ड। सेक्रेटरी बोला। फोर्ड बनने की गलती भूल कर भी न करूंगा? फोर्ड चौंका क्यों? सेक्रेटरी बोला प्रतिदिन देखता हूँ। फोर्ड प्रातः नौ बजे दफ्तर आता है। चपरासी दस बजे। क्लर्क साड़े दस बजे। मैनेजर ग्यारह बजे। डायरेक्टर एक बजे और सभी चार बजते-बजते अपने घर वापस चले जाते हैं और दफ्तर का बोझ दफ्तर में छोड़ जाते हैं। कारखाना घटे में है या लाभ में, इससे उनका कोई लेना देना नहीं। किन्तु फोर्ड फाइलों का पुलिंदा और कल की चिन्ताओं का गट्ठर लाद कर रात दस बजे घर लौटता है। पता नहीं चिन्ता में रात को सो भी पाता है या नहीं। जो चैन कर्मचारियों को है वह मालिक को कहाँ। खाते पहनते सब बराबर ही हैं फिर अतिरिक्त झंझट क्यों। यह अंतर है मालिक व नौकर की मनोवृत्ति का।