नया विचार किया (Kahani)

April 1991

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

आस्ट्रेलिया के हार्वर्ट क्षेत्र के वन प्रदेश में भयंकर आग लगी। उसकी लपेट में वन सम्पदा ही नहीं झोंपड़े, गाँव और कस्बे भी बुरी तरह जलते जा रहे थे। आग भड़काने वाली आँधी 115 किलोमीटर प्रति घन्टे की चाल से चल रही थी।

सेन्ट्रल जेल का फाटक जल गया। कैदियों ने बाहर निकल कर आग बुझाने में सहायता की। तीसरे दिन आँधी थमी ओर आग बुझाने में सफलता मिली। कैदी सभी अपनी-अपनी कोठरियों के खंडहरों में जा बैठे।

जेलर ने पूछा-आप लोग भाग सकते थे, फिर वापस क्यों आ गए?

कैदियों ने कहा हम अपराधी तो हैं, पर देश द्रोही और अराजकतावादी नहीं। शासन का अनुशासन न रहा तो अपराधी भी अपने परिवारों को सुरक्षित कहाँ रख सकेंगे? जेल से भागना शासन व्यवस्था को अस्वीकार करना होता न, हम इतना बड़ा नया अपराध करने की मनःस्थिति में नहीं थे।

शासन ने उसके सम्बंध में नया विचार किया और जो जितने समय तक जेल काट चुका था उसे ही पूरी कह कर सब को रिहा कर दिया गया।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles






Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118