नैपोलियन बोनापार्ट

November 1970

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नैपोलियन बोनापार्ट तब विद्यार्थी था। उसने रहने के लिये एक नाई का मकान किराये पर ले रखा था। नाई की एक सुन्दर युवती कन्या भी थी। वह किसी प्रकार नैपोलियन को अपने जाल में फाँसना चाहती थी अतएव उसके सामने सदैव कामुक चेष्टायें करती रहती। नैपोलियन यह सब देखता तो पर उन बातों की उपेक्षा करके चुपचाप अपनी पढ़ाई में लगा रहता।

बात जहाँ की तहाँ समाप्त हो गई। कुछ दिन पीछे नैपोलियन सेना में चला गया। बाल्यकाल में संयमित जीवन बिताने के कारण शारीरिक शक्ति और बुद्धि कौशल का उसमें अभाव नहीं था इसलिये वह 25 वर्ष की अल्पायु में ही सेनापति बना दिया गया।

एक बार वह किसी काम से अपने उसी विद्यालय में गया जहाँ उसने शिक्षा पाई थी। प्रसंगवश वह उस युवती से भी मिला और पूछा इस मकान में कभी एक विद्यार्थी रहता था, तुम उसे छेड़ती रहती थीं,है याद उसकी। युवती ने रूखेपन से कहा- ‘था एक नीरस किताबी कीड़ा’।

नैपोलियन ने कहा-सचमुच बहन! पर यदि वह वासना के आकर्षण में फंस जाता तो आज सेनापति के रूप में तुम्हारे सामने उपस्थित न होता?


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