किसी ने प्रशंसा न की तो तितली झींगुरी से बोली-महोदय! जानते नहीं मैं अद्वितीय सुन्दरी हूँ। दार्शनिक मुद्रा में झींगुर ने उत्तर दिया-सौभाग्य आपका। किन्तु देवी जी! जब तक अन्तःकरण का सौंदर्य जागृत न हो, बाह्य शृंगार किस काम का।
उन्होंने बताया है कि मिनी स्कर्ट पहनने वाली लड़कियों को सार्वजनिक स्थानों, ट्रेनों, बसों में एक टाँग के ऊपर दूसरी टाँग चढ़ाकर बैठना पड़ता है अधिक क्रासिंग के कारण एबडक्टर पेशियाँ सिकुड़ जाती हैं जिससे कद छोटा हो जाने की संभावनायें बढ़ जाती हैं, साथ ही इस तरह की अस्वाभाविक पोशाक पहनने वालों का अपने ही ऊपर ध्यान बना रहता है। हर आगंतुक के प्रति उनमें घबराहट सी होती है जो उनमें स्नायुविक दुर्बलता पैदा करती है। यदि नई पीढ़ी को इन दोषों से बचाना है तो फैशन की बाढ़ को रोकना ही पड़ेगा। उसकी आज्ञा, संस्कृति ही नहीं विज्ञान भी नहीं देता।