सितारे गिनने के लिये नहीं

November 1970

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एक दिन, दो दिन और लगातार कई दिन तक भी रात-रात भर तारों की गिनती करते देखकर आखिर एक दिन माँ ने अपने बच्चे से पूछ ही लिया- बेटे! तुम रात भर आकाश की ओर मुँह किये क्या गिना करते हो?

आकाश के सितारे माँ! बहुत प्रयत्न करता हूँ किन्तु आकाश इतना विराट् और नक्षत्र इतने अधिक हैं कि वे गिनने में ही नहीं आते।

माँ ने थपकी दी और बोली, बेटा! देर हुई सो जा, यह सितारे गिनने के लिये नहीं वरन् इसलिये बनाये गये हैं कि लोग उन्हें देखकर स्वयं भी प्रकाश पूर्ण जीवन जीना सीखें।


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